अमर झा
बिहार के धनवाद (अब झारखंड) मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की शिक्षा लेकर मुंबई पहुंचे डॉ. दंपति ने भले ही शुरुआत बहुत ही छोटे स्तर पर की हो, लेकिन अपने अथक मेहनत के बल पर आज ४० बेड का अपना अस्पताल चला रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं डॉ. आर के शर्मा और उनकी पत्नी डॉ. प्रीति शर्मा की, जो वर्ष २००० में अपनी डॉक्टरी की शिक्षा पूरी कर सुनहरे भविष्य के लिए मुंबई आ गए। जैसा अक्सर होता है कि डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद तुरंत अपना खुद प्रैक्टिस करना थोड़ा कठिन होता है, उस पर भी नया शहर जहां कोई पहचान नहीं हो, वैसे जिनके पास योग्यता होती है वो कठिन परिस्थिति में भी अपने आपको साबित कर देते हैं। ऐसे ही डॉ. शर्मा दंपति के साथ हुआ। यहां आने के बाद दहिसर के अंबावाड़ी के एक छोटे अस्पताल में सेवा देने लगे। वहां मरीजों का इलाज के दौरान ऐसा भरोसा जीता कि मरीजों की भीड़ लगने लगी, लेकिन मन में यह संकल्प लेकर मुंबई आए थे कि खुद का अस्पताल बनाना है और हो भी क्यों नहीं, जब घर में ही दो-दो डॉक्टर हों। अपने सपने को साकार करने के लिए सन् २००७ में मीरा रोड पूनम सागर कॉम्प्लेक्स के अयप्पा मंदिर के पीछे ७ बेड वाला हितांक्षी नर्सिंग होम बनाकर मरीजों का इलाज करने लगे। डॉ. शर्मा बहुत ही अच्छे फिजिशियन के साथ-साथ डायबिटीज स्पेशलिस्ट हैं। उनकी पत्नी डॉ. प्रीति शर्मा स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। यहां भी इनकी मेहनत रंग लाई और गरीब मरीजों के इलाज में यथासंभव मदद करने की भावना, मृदुभाषी डॉ. शर्मा के द्वारा होने वाले इलाज से लोगों का विश्वास बढ़ता गया। स्थिति ऐसी हो गई कि अस्पताल की जगह छोटी पड़ने लगी। पूनम सागर परिसर में लगभग १० साल तक अस्पताल चलाने के बाद डॉ. दंपति ने बड़ी जगह की तलाश करते हुए मीरा रोड के एमटीएनएल रोड पर शांति नगर के डॉन बास्को स्कूल के पास ओक्स नामक बिल्डिंग में बड़ी जगह लेकर २०१८ में ४० बेड वाला अस्पताल बनाया। आज यहां कई प्रकार के रोगों का इलाज किया जाता है नवजात, शिशु से लेकर बुजुर्ग मरीजों का हर प्रकार का इलाज यहां किया जाता है। अलग-अलग रोगों के इलाज के लिए अलग-अलग डॉ. (स्पेशलिस्ट) यहां आते हैं। डॉ. शर्मा दंपति के मेहनत का ही परिणाम है कि आज इनके अस्पताल में रोजगार मिलने की वजह से लगभग ४० लोगों के परिवार का पालन-पोषण होता है। डॉ. शर्मा बताते हैं कि यहां तक पहुंचने में मेरी पत्नी डॉ. प्रीति शर्मा का बड़ा योगदान है। प्रीति ने प्रैक्टिस के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी, मेरी बड़ी बेटी के जन्म के बाद प्रीति ने पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की, जो कठिन था। मैंने अपने बच्चे को भी पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज मेरी बेटी हितांक्षी डॉक्टर की पढ़ाई का अंतिम वर्ष पूरा कर रही है, जबकि बेटा भी नीट परीक्षा की तैयारी में जुटा हुआ है। डॉ. शर्मा बताते हैं कि हम कुछ सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर प्रâी मेडिकल वैंâप भी करते हैं, जिससे समाज के उन लोगों को भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है, जो पैसे के अभाव में इलाज नही करा पाते। डॉ. शर्मा ने बताया कि हमारे गुरु ठाकुर अनुकूल चंद महाराज का आश्रम बदलापुर वाशी में है। हम हर वर्ष वहां प्रâी वैंâप लगाकर लोगों को मुफ्त चिकित्सा सेवा देते हैं।