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संपादकीय : कट, कमीशन और शिंदे

मुख्यमंत्री शिंदे की चापलूसी चरम सीमा पर पहुंच गई है और उस चरम से नीचे लुढ़कने का क्षण निकट आ गया है। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार बढ़ा है। जैसे ही कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष नाना पटोले ने यह आरोप लगाया कि मोदी भ्रष्टाचारियों का समर्थन करते हैं, मुख्यमंत्री श्री लाचार के तन-बदन में आग लग गई। वे भूल गए कि वे भाजपा के नेता नहीं बल्कि भले ही नकली, लेकिन शिवसेना के नाम पर राजनीतिक दुकान चलाते हैं। शिंदे का यह कहना कि कांग्रेस को प्रधानमंत्री मोदी पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है, हास्यास्पद है। कांग्रेस मोदी प्रायोजित घोटालों के बारे में बात न करे क्या ऐसा फरमान जारी किया गया है? मोदी ने भ्रष्टाचारियों का मेला इकट्ठा कर लिया है और उसी मेले में मोदी का मान-सम्मान है। शिंदे भी उसी मेले के लाभान्वित हैं। ऐसा लगता है कि शिंदे की याददाश्त खराब हो गई है। मोदी की चापलूसी करते हुए लाचार शिंदे कहते हैं, ‘प्रधानमंत्री मोदी पर १० साल में किसी घोटाले का आरोप नहीं लगा है। कांग्रेस नेताओं ने बहुत कोशिश की, लेकिन वे मोदी पर घोटाले का आरोप साबित नहीं कर सके।’ शिंदे का बयान मजेदार है। महाराष्ट्र में लाचार शिंदे के नेतृत्व में, मोदी की कृपा से चल रही असंवैधानिक सरकार ही एक बड़ा घोटाला है। विधायकों और सांसदों की खरीद फरोख्त के लिए सैकड़ों करोड़ों का लेन-देन किया गया। ईडी और सीबीआई के कंधों पर बंदूक रखकर विधायकों को डराया गया। अगर शिंदे की सरकार भारतीय संविधान को रौंदकर चलाई जा रही है तो यह घोटाला नहीं तो और क्या है? देश के रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा राफेल घोटाला मोदी के कार्यकाल में हुआ। प्रâांस से खरीदे गए राफेल विमान के पीछे मोदी के करीबी लोगों की ‘कट एंड कमीशन’ योजना है और इस लेन-देन के लाभार्थी कौन हैं लाचार मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए। कट, कमीशन और भ्रष्टाचार मोदी का मंत्र है। चुनावी बॉन्ड घोटाले में मोदी ने भाजपा की तिजोरी में भ्रष्टाचार का कट और कमीशन पहुंचा दिया है। कई कंपनियों को काम दिया गया और काम के बदले में कमीशन प्राप्त किया गया या चुनावी बॉन्ड के जरिए कमीशन लिया गया। मोदी और उनकी पार्टी ने ईडी, सीबीआई कार्रवाई और जेल भेजने की धमकी देकर सैकड़ों करोड़ों रुपए की उगाही की, क्या इसे सोमनाथ, काशी मंदिर से मिला दान समझना चाहिए? कट, कमीशन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद ही वर्तमान भाजपा का सूत्र है। देश को सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले पब्लिक सेक्टर को मोदी के दोस्तों को बेच दिया गया। यह लेन-देन बहुत सस्ते में किया गया और यह एक आपराधिक स्वरूप का कृत्य है। क्या शिंदे का यह दावा है कि मोदीकृत भाजपा को सार्वजनिक उद्यमों की बिक्री से कोई कट या कमीशन नहीं मिला? मोदी-शाह का ‘स्टॉक एक्सचेंज’ से पुराना नाता है और जब भी वे चाहते हैं, कृत्रिम रूप से शेयर बाजार को उछालते रहते हैं। चुनाव से पहले झूठे एग्जिट पोल के आंकड़े दिखाकर मोदी और अन्य लोगों ने ‘चार सौ पार’ पर जोर देकर शेयर बाजार में कृत्रिम उछाल लाकर अपने दिवालिया दोस्तों को लाखों-करोड़ों का फायदा पहुंचाया। प्रधानमंत्री शेयर बाजार में इतनी दिलचस्पी लेते हैं वो भी ‘कट-कमीशन’ में दिलचस्पी के बिना? मोदी ने महाराष्ट्र जैसे राज्य को लूटा और उसी लूट में श्री लाचार को भी कट-कमीशन मिलता चला गया। शिंदे ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ऊंचे दामों पर ‘टेंडर’ निकाल रहे हैं, जबकि महाराष्ट्र पर लाखों करोड़ों का कर्ज है। समृद्धि राजमार्ग से लेकर कोस्टल रोड कार्यों तक केवल कट-कमीशन है। इसलिए शिदें जो कहते हैं वह सच ही है। भले ही शिदे यह कह रहे हैं कि कांग्रेस को मोदी के भ्रष्टाचार के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन देश की जनता ने मोदी के बहुमत को गिराकर साबित कर दिया है कि मोदी भ्रष्ट लोगों का मेला इकट्ठा कर रहे हैं। जिन लोगों पर मोदी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, वे सभी अब ‘टीम मोदी’ में सुखपूर्वक आनंद ले रहे हैं। इसमें शिंदे और उसके लोग भी शामिल हैं। इसलिए शिंदे में यह चापलूसी उनकी इसी मजबूरी से आई है। कट, कमीशन और भ्रष्टाचार के इसी फॉर्मूले के चलते मोदी-शाह ने दस साल तक राज किया और देश में कई शिंदे पैदा हुए। भले ही शिंदे कितनी भी चापलूसी करें फिर भी मोदी का भ्रष्टाचार छिपा नहीं रहा है। वह बाहर आ ही गया है!

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