– आरबीआई ने दिया बैंकों को आदेश
सामना संवाददाता / मुंबई
क्या यूपी-बिहार के लोग बैकों के लोन लूट लेते हैं? उन्हें वापस नहीं करते? कम से कम आरबीआई के एक नए फरमान से तो ऐसा ही प्रतीत होता है। इस नए फरमान में आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वे यूपी-बिहार को माइक्रोफाइनेंस के तहत कम लोन दें।
बता दें कि यूपी और बिहार में लोन बांटने को लेकर आरबीआई ने कहा है कि इन दोनों राज्यों में कर्ज बांटने की रफ्तार धीमी करनी पड़ेगी, क्योंकि यहां कर्ज का बुलबुला फूटने का डर है। इसके साथ ही आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को आगाह किया है कि जोखिम का सही से प्रबंधन नहीं किया गया तो आने वाले समय में नुकसान हो सकता है।
यूपी-बिहार में बंटे २५ फीसदी कर्ज!
-आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को किया आगाह
आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंसिंग कंपनियों को यूपी-बिहार में कम लोन देने का फरमान दिया है। वित्तीय मामलों के एक जानकार के अनुसार, आरबीआई की यह चिंता बेवजह नहीं है। अगर आप दोनों राज्यों में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लोन का आंकड़ा देखें तो स्थिति साफ नजर आती है। यूपी और बिहार में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कुल लोन का २५.३ फीसदी कर्ज बांटा गया है। इसका मतलब हुआ कि इन दोनों राज्यों में कुल कर्ज का एक चौथाई बांट दिया गया है। खासकर कम आमदनी वाली महिलाओं को बड़ी संख्या में लोन बांटे गए। साल २०१९ के बाद से यूपी और बिहार में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लोन का दायरा सबसे तेजी से पैâला है।
आरबीआई की ओर से हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कुल लोन में १०.१ फीसदी हिस्सा ऐसे लोगों का है, जिन्होंने ३ जगह से लोन ले रखा है। चार या इससे ज्यादा बैंकों से लोन लेने वालों की संख्या ८.७ फीसदी है। यूपी के मामले में यह आंकड़ा क्रमश: ७.७ फीसदी और ६.६ फीसदी है। अगर इसका राष्ट्रीय आंकड़ा देखें तो ७.८ फीसदी और ६.४ फीसदी है।
साल २०१९ के बाद यूपी और बिहार में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लोन का ग्रोथ काफी तेजी से हो रहा है। इन दोनों राज्यों में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले लोन का ग्रोथ काफी तेजी से हो रहा है। खासकर बिहार में, जहां कुछ साल पहले तक सिर्फ ३० माइक्रोफाइनेंस कंपनियां थीं और आज इस फील्ड का हर खिलाड़ी इस राज्य पर दांव लगा रहा है।
डर का बड़ा कारण
माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की पिछले दिनों हुई बैठक में जो बातें सामने आर्इं, उससे डर के कारणों का खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया कि बिहार जैसे राज्य में अच्छे क्रेडिट वाले कर्जदारों की संख्या घट रही है। ऐसे में बिहार सेंसटिविटी के मामले में ग्रीन से रेड जोन की ओर जा रहा है। माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट का १४.८ फीसदी हिस्सा सिर्फ बिहार में है, जो पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु को पीछे छोड़कर सबसे आगे पहुंच गया है। ऐसे में जोखिम वाले लोन बांटना इन कंपनियों के लिए खतरे की घंटी है। माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के सीईओ व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में कहा गया कि यूपी के मुकाबले बिहार में स्थिति ज्यादा गंभीर है। यूपी बड़ा राज्य है, जहां इन कंपनियों की पहुंच अभी कम है, लेकिन बिहार में काफी ज्यादा पैसा गया है। माइक्रोफाइनेंस कंपनियां ऐसे लोगों को लोन बांटती हैं, जिन्हें जोखिम की वजह से बैंक नहीं देते हैं। ऐसे में अगर लोन का बुलबुला फूटता है तो यह साल २०१० के आंध्र प्रदेश जैसे हालात पैदा कर सकता है।