रमेश सर्राफ धमोरा झुंझुनू
राजस्थान में किरोड़ीलाल मीणा के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी में जमकर खलबली मची हुई है। अगले कुछ महीनों में राजस्थान की पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। बीजेपी का लक्ष्य है कि इन पांचों सीटों पर जीत हासिल की जाए। वहीं बीजेपी को लगता है कि कहीं किरोड़ीलाल के इस्तीफे के कारण उपचुनाव में समीकरण बिगड़ जाएं। इस पर डैमेज कंट्रोल करने के लिए बीजेपी ने उपचुनाव के लिए खास प्लान तैयार कर लिया है। इसको लेकर अब बीजेपी की पांचों सीटों पर कड़ी नजर रहेगी। बीजेपी ने पांच विधानसभा सीटों के लिए बनाए गए प्रभारियों की मीटिंग लेकर उन्हें आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। इनमें प्रभारियों को १३ जुलाई को सभी क्षेत्रों के नेताओं से मुलाकात करने और दो महीने तक विधानसभा क्षेत्र में कैंप करने के निर्देश दिए गए हैं। लोकसभा चुनाव में देवली, दौसा, झुंझुनू, खींवसर और चौरासी विधानसभा सीटों के विधायकों के सांसद बनने से इन सीटों के खाली होने पर उपचुनाव होंगे। इन पांचों में से एक भी सीट पर बीजेपी का कब्जा नहीं रहा। यही वजह है कि बीजेपी उपचुनाव में हर हाल में पांचों सीटें जीत कर लोकसभा चुनाव की हार को भुलाना चाहती है।
वेटिंग में राठौड़
राजस्थान में लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को लेकर जमकर सियासी चर्चा बनी हुई है। राठौड़ का राजनीतिक भविष्य और अगली भूमिका क्या होगी? इसको लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। सियासत में सवाल घूम रहा है कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद राठौड़ का राजनीतिक वनवास कब समाप्त होगा? चुनाव परिणाम आने के बाद राजेंद्र राठौड़ दिल्ली में पार्टी हाईकमान के पास मुलाकात करने पहुंचे। इसको लेकर सियासत में जमकर हलचल मची। सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि क्या राठौड़ को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है, लेकिन फिलहाल अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। राठौड़ लगातार सात बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उनको हार झेलनी पड़ी थी। राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दौरान चूरू लोकसभा सीट पर बीजेपी के सांसद रह चुके राहुल कस्वां ने अपना टिकट कटने के पीछे राठौड़ का हाथ बताते हुए जमकर बवाल किया था। चुनाव परिणाम आने के बाद राठौड़ को राहुल कस्वां, देवी सिंह भाटी समेत बीजेपी के कई नेताओं ने भी जमकर घेरा था।
कांग्रेस का शैडो कैबिनेट
राजस्थान की भजनलाल सरकार ने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार की कई योजनाओं को बंद कर दिया है। इनमें नए बनाए गए जिले, अंग्रेजी माध्यम के महात्मा गांधी स्कूल, नए खोले गए कॉलेज, चिरंजीवी योजना, अन्नपूर्णा किट और स्मार्ट फोन योजना जैसी कई योजनाएं शामिल हैं। कांग्रेस इन योजनाओं को बंद करने पर भजनलाल सरकार पर लगातार हमलावर है। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी भजनलाल सरकार को घेरने के लिए अब एक खास योजना पर काम कर रही है। अब प्रदेश में विपक्ष शैडो कैबिनेट का गठन करेगा, जो भजनलाल सरकार के कामकाज पर पैनी नजर रखेगा। शैडो कैबिनेट में शामिल विधायकों को उसी तरह विभाग बांटे जाएंगे, जैसे सरकार में शामिल मंत्रियों को बांटे जाते हैं। जिस विधायक को जो विभाग मिलेगा, वह उस विभाग के कामकाज पर पैनी नजर रखेगा। अगर कोई विभाग योजना में कोई बदलाव या गड़बड़ी करता है तो उसके दस्तावेज जुटाकर विधानसभा में मुद्दे उठाए जाएगें। शैडो कैबिनेट की समय-समय पर बैठकें भी होंगी, जिनमें सरकार को घेरने वाले मुद्दों पर रणनीति बनाई जाएगी। राजस्थान में इससे पहले २००३ में वसुंधरा सरकार के समय कांग्रेस ने व २००८ में कांग्रेस सरकार के समय भाजपा ने शैडो कैबिनेट बनाई थी।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।)