मुख्यपृष्ठखेलक्लीन बोल्ड : कूल्हा, जोकोविच और सेमीफाइनल

क्लीन बोल्ड : कूल्हा, जोकोविच और सेमीफाइनल

अमिताभ श्रीवास्तव

बिना खेले ही सेमीफाइनल में जा पहुंचे टेनिस किंग जोकोविच। और इस सफर में कूल्हे ने उनका साथ निभाया मगर किसी और के लिए यह परेशानी का सबब बन गया। दरअसल, क्वार्टर फाइनल में कूल्हे की चोट के कारण एलेक्स डि मिनोर खेलने नहीं उतरे और उनके मैच से हटने की वजह से बिना खेले ही जोकोविच ने विंबलडन पुरुष सिंगल्स सेमीफाइनल में जगह बनाई। ऑस्ट्रेलिया के नौवें वरीय डि मनोर ने सेंटर कोर्ट पर जोकोविच के खिलाफ होने वाले क्वार्टर फाइनल मुकाबले से घंटों पहले टूर्नामेंट से हटने की घोषणा की। डि मिनोर ने प्रेस कॉन्प्रâेंस में कहा, ‘बेशक यह वह घोषणा नहीं है जो मैं करना चाहता था। मैं टूट चुका हूं।’ उन्होंने बताया कि सोमवार को चौथे दौर में आर्थर फिल्स पर ६-२, ६-४, ४-६, ६-३ की जीत के दौरान उन्होंने ‘व्रैâक’ की आवाज सुनी थी। जब वह मैच समाप्त हुआ तो डि मिनोर सावधानी से नेट की ओर गए, लेकिन बाद में मीडिया से बात करते समय उन्होंने स्थिति की गंभीरता को कम करके आंका। इस वॉकओवर से जोकोविच ने १३वीं बार विंबलडन सेमीफाइनल में जगह बनाई और इस तरह से उन्होंने पुरुष एकल में रोजर फेडरर के रिकॉर्ड की बराबरी की।

जीतने की जिद नहीं है
टीम इंडिया के पास शानदार युवा खिलाड़ी तो हैं मगर इनमें जीतने की जिद नहीं है। जीत जाते हैं यह अलग बात है मगर जैसा कि प्रमुख टीम इंडिया में देखा जाने लगा है वैसा जोश इस जिंबाब्वे टूर पर पहुंची टीम में नहीं दिख रहा है। हालात ऐसे हैं कि प्लेइंग इलेवन में किसे खिलाया जाए किसे नहीं जैसी स्थिति है। ऐसे में यशस्वी जायसवाल हों या अभिषेक शर्मा या फिर शिवम दुबे हों या संजू सैमसन जैसे खिलाड़ी हों, इन पर तलवार लटकी हुई ही है। इन जैसे युवा खिलाड़ियों को विराट जैसा जोश, रोहित जैसी अक्लमंदी, बुमराह जैसा पैनापन और हार्दिक जैसी फुर्ती का होना जरूरी है अन्यथा बड़ी टीमों से मुकाबले के वक्त टीम में इनका टिक पाना कठिन ही है। हो यह भी सकता है कि इन युवा खिलाड़ियों को ईशान किशन जैसी मानसिकता का शिकार बनना पड़ सकता है। इसलिए जिंबाब्वे दौरा इनके लिए बड़ी परीक्षा है यदि इसमें ये दमदार प्रदर्शन कर दिखाएंगे तो भविष्य उज्ज्वल हो सकता है अन्यथा मुश्किल है। इसी तरह बॉलिंग में आवेश खान, खलील, रवि विश्नोई, सुंदर आदि के लिए भी मुसीबत हो सकती है, जब टीम में शमी की एंट्री हो जाएगी तो बुमराह, सिराज, अर्शदीप के बाद आवेश और खलील जैसों के लिए कठिनाई है। बहरहाल, कोई चमत्कारिक प्रदर्शन होगा तब ही टीम में स्थिति मजबूत हो सकती है अन्यथा नहीं।

ली की पसंद बूम-बूम
दुनियाभर में जहां जसप्रीत बुमराह की तारीफ हो रही है, वहीं पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ियों का उन पर ईर्ष्या का भूत चढ़ा हुआ है। हर कोई बुमराह को कमतर ही बता रहा मगर ये वो भी जानते हैं कि बुमराह जैसा कोई नहीं है। इधर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली कि पसंद बूम-बूम ही हैं। ब्रेट ली ने स्टार जसप्रीत बुमराह की तारीफ करते हुए दावा किया है कि वह इस समय तीनों प्रारूपों में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हैं। ली ने कहा, `मेरे हिसाब से जसप्रीत बुमराह असाधारण हैं।’ २०२४ टी-२० विश्वकप में बुमराह के प्रदर्शन ने खेल के तीनों प्रारूपों में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक बनने की उनकी दावेदारी को और मजबूत कर दिया है। ३० वर्षीय बुमराह को पूरे अभियान में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया, जिसमें उन्होंने ८.२६ की औसत से १५ विकेट लिए हैं। बुमराह ने केवल ४.१७ की इकॉनमी के साथ मैच समाप्त किया। वह अभी सभी प्रारूपों में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हैं और आक्रमण का नेतृत्व करते हैं।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

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