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संपादकीय : मोदी-पुतिन-जेलेंस्की …वे क्या किसी से डरते हैं?

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी विशेष विमान से देश से बाहर ही हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी मणिपुर में हिंसा पीड़ितों से मुलाकात कर रहे हैं। उनके आंसू पोंछ रहे हैं। विपक्षी नेता ने हाथरस जाकर ढोंगी बाबा के भगदड़ में जान गवां चुके लोगों के परिजनों से मुलाकात की। गांधी तुरंत गुजरात भी पहुंचे। जहां विपक्षी नेता देश की समस्याओं और पीड़ितों की पीड़ा को समझ रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी विदेश भ्रमण पर चले गये हैं। मोदी ने रूस जाकर राष्ट्रपति पुतिन की मेहमाननवाजी स्वीकारी। मोदी ने पुतिन को जोर से गले लगाया। इसकी दुनिया भर से आलोचना हो रही है। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो साल से युद्ध चल रहा है और पुतिन ने लाखों लोगों की जानें ली हैं। एक साल पहले भारत के अंधभक्तों ने ऐसा हल्ला मचाया था कि ‘पापा ने वॉर रुकवा दी’ यानी मोदी के हस्तक्षेप से रूस और यूक्रेन का युद्ध रुक गया! विश्वगुरु मोदी ने वो कर दिखाया जो दुनिया में कोई नहीं कर सका, लेकिन ये सब एक तरह से गाल बजाना ही था। युद्ध जारी है। जब मोदी और पुतिन क्रेमलिन में चाय पी रहे थे, तब रूस ने कीव के छोटे बच्चों के अस्पताल पर बम गिराया। इसमें दो सौ से ज्यादा छोटे बच्चों की मौत हो गई। यह भयावह है। इस नरसंहार पर न तो पुतिन ने दुख जताया और न ही पीएम मोदी ने संवेदना जताई। वहां इजरायल गाजा पट्टी में इसी तरह का विध्वंस और नरसंहार कर रहा है और यहां पुतिन ने भी यूक्रेन में इंसानी खून की नदियां बहा दीं। लेकिन विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया प्रधानमंत्री मोदी विनाश करने वाले नेता को गले लगा रहे हैं। दुनिया ने रूस का बहिष्कार कर दिया है क्योंकि पुतिन ने मानवता को त्याग दिया है। भारत मानवता का संदेश देने वाला देश है। ऐसे समय में मोदी को देश के संस्कारों का पालन करते हुए संयम का परिचय देना चाहिए था। लेकिन चुनाव खत्म होते ही मोदी को परदेश गमन की जल्दी मच गई और वे रूस समेत कई देश घूमने चले गए। पुतिन के देश में लोकतंत्र पूरी तरह खत्म हो चुका है। विपक्षी नेताओं की एक-एक कर हत्या कर दी गई, जिसके चलते पुतिन को संसद में एकतरफा बहुमत मिला। रूस में अब केवल पुतिनवाद है और वे एक बेलगाम अपराधी की तरह काम कर रहे हैं। जैसे ही मोदी ने पुतिन को गले लगाया, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा, ‘जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेता दुनिया के सबसे बड़े खूनी को गले लगाता है, तब शांति प्रयासों को धक्का लगता है।’ यूक्रेन की धरती पर पुतिन ने लाखों लोगों की जान ले ली इसलिए जेलेंस्की का दर्द समझना चाहिए। मोदी पुतिन की मेहमाननवाजी निपटा कर ऑस्ट्रिया गए। वहां भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर उनका स्वागत किया गया। ऑस्ट्रिया में मोदी ने युद्ध विरोधी रुख अपनाया। दुनिया को युद्ध की नहीं, बल्कि बुद्ध की यानी शांति की जरूरत है। यूक्रेन-रूस को बातचीत के जरिए शांति का रास्ता निकालना चाहिए। मोदी ने शांति का यह उपदेश ऑस्ट्रिया पहुंचने पर दिया। रूस में रहते हुए मोदी ने पुतिन के सामने शांति के कबूतर उड़ाने की हिम्मत क्यों नहीं दिखाई? मोदी का यह दोहरा व्यवहार देश और विदेश में एक जैसा है। मोदी ने देश में हिंदू-मुस्लिम हिंसा को बढ़ावा दिया। यह नीति राजनीतिक लाभ के लिए है, लेकिन लोकसभा चुनाव में यह नीति उन पर भारी पड़ गई। रूस जाकर मोदी ने शेखी बघारी, ‘भारतीय जनता ने हमें तीसरी बार सेवा का मौका दिया है।’ ये बिल्कुल झूठ है। जनता ने मोदी और उनकी पार्टी को ठुकरा दिया है। मोदी बैसाखी के सहारे दुनियाभर में घूम रहे हैं। देश में कई मसले आग उगल रहे हैं। कश्मीर में जवानों पर हमले जारी ही हैं। बेरोजगारी और महंगाई का तांडव है। देश में कानून का राज नहीं रहा। वित्तीय व्यवस्था साफ तौर पर टूट गई है। ऐसे वक्त में देश में प्रधानमंत्री का मन स्थिर होना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री उस पर हवाई जहाज का पंख लगाकर दुनिया में उड़ रहे हैं। मोदी के जग भ्रमण से देश को क्या मिला? सवाल यही है। मोदी को एक बार चीन का दौरा करना चाहिए। चीनी सेना लद्दाख के इलाके में घुस आई है और हमारी हजारों वर्ग मील जमीन पर चीनियों ने कब्जा कर लिया है। विश्वगुरु को चीन जाकर हमारी जमीन छुड़ाने के लिए चर्चा करनी चाहिए। पुतिन, ऑस्ट्रिया, चांसलर नेहमर ये घर के ही हैं। चीनी सैनिक भारत में घुस आए हैं, इसलिए मोदी अपने विमान को चीन की ओर मोड़ें, ऐसी एक माफक उम्मीद है। मोदी बहादुर हैं। वे क्या किसी से डरते हैं?

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