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साफ दिखी मोदी की मजबूरी! … आंध्र प्रदेश को रु. ६०,००० करोड़ देना हुआ जरूरी

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मोदी ३.० सरकार बैसाखी पर खड़ी सरकार है। विपक्ष द्वारा बार-बार यह कहा गया है कि अबकी बार बैसाखी वाली सरकार कभी भी गिर सकती है। ऐसे में चंद्राबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जदयू की मांगें अगर केंद्र सरकार नहीं मानती है तो यह सरकार कभी भी गिर सकती है। ऐसे में सभी मित्र पार्टियों की मांगे पूरी करने और उन्हें खुश रखना अब मोदी की मजबूरी बन गई है। पीएम की कुर्सी संभालने के लिए मोदी की यह लाचारी ही है कि एनडीए की सरकार ने आंध्र प्रदेश में ६०,००० करोड़ रुपए के निवेश से तेल रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल हब स्थापित करने की प्रमुख मांग को स्वीकार कर लिया है।
बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं की मुलाकात को अभी पांच दिन ही बीते हैं। केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार में प्रमुख सहयोगी नायडू ने बुधवार को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात कर राज्य में रिफाइनरी स्थापित करने को लेकर चर्चा की थी। अब लोगों की नजरें बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर जा टिकी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र में टीडीपी के साथ जेडीयू भी अहम भूमिका में है, भले ही उसकी लोकसभा की सीटें टीडीपी के बराबर न हों। जानकारों की मानें तो लिखा है कि रिफाइनरी के लिए तीन स्थानों पर चर्चा की गई। इनमें श्रीकाकुलम, मछलीपट्टनम और रामायपट्टनम शामिल हैं। लोगों ने बताया कि रिफाइनरी की औपचारिक घोषणा २३ जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट में किए जाने की संभावना है। स्थानों का मूल्यांकन किया जाएगा और फिर उन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस प्रक्रिया में कम से कम दो महीने लगेंगे और बजट में स्थान की घोषणा नहीं की जा सकती है।
बता दें, यह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू के लिए एक बड़ी जीत है, क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी के साथ अपनी बैठकों के दौरान रिफाइनरी स्थापित करने के लिए जोर दिया था। नायडू के १६ सांसद भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को बहुत जरूरी समर्थन देते हैं। हालांकि, नायडू स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि उनके मन में अपने राज्य के हित हैं और वे किसी भी मांग पर नाव को हिलाने के लिए तैयार नहीं हैं।

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