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सवाल हमारे, जवाब आपके?

हाथरस कांड को लेकर आयोजक सवालों के घेरे में तो हैं ही साथ ही सिस्टम पर भी सवाल उठने लगे हैं। तो सवाल उठता है कि हाथरस कांड के गुनहगार कौन है? 
बाबा और उसका प्रशासन जिम्मेदार
मेरी राय में इस कांड के लिए ढोंगी बाबा और सत्संग के आयोजकों की तरह ही उत्तर प्रदेश की ‘बुलडोजर बाबा’ सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार है। सरकार ने सत्संग की इजाजत दी, लेकिन प्रशासन को भीड़ नियंत्रण, पार्विंâग व्यवस्था, पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कोई फिक्र नहीं रही। कई लोगों की जान सिर्फ इसलिए चली गई, क्योंकि उन्हें वक्त पर पानी और मेडिकल सपोर्ट नहीं मिला। घायलों को ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं थी। घायलों और बीमारों को एक पर एक रख कर टेंपो से अस्पताल भेजा गया। अस्पताल में जिस तरह से डेथ बॉडीज पड़ी हुई थीं, उसे देखकर किसी भी इंसान का विचलित हो जाना सामान्य है। उसे देखकर एक पुलिसकर्मी की जान चली गई, लेकिन बाबा और उसके प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ा है।
-गिरीश यादव, मीरा रोड

क्षेत्रीय नेता व आयोजक जिम्मेदार
हाथरस कांड बहुत ही दर्दनाक रहा है। इस कांड के लिए प्रशासन ही नहीं, क्षेत्रीय नेताजन और उसके आयोजक जिम्मेदार हैं। हालांकि, प्रशासन चाहता तो इसे रोक सकता था लेकिन प्रशासन आयोजकों का हमदर्द बन बैठा था। जिस वजह से उसने कोई कार्रवाई नहीं की और ऐसी घटना घटित हुई।
– संजय सिंह, कल्याण

स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार
हाथरस कांड के लिए सबसे ज्यादा स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है। इस कार्यक्रम के लिए जब ८० हजार लोगों को ही जाने की अनुमति थी, तो इतनी अधिक संख्या में लोग वैâसे जमा हुए? वहां पुलिस व्यवस्था होने के बावजूद भीड़ वैâसे जमा होने दी गई? इसके लिए कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन भी जिम्मेदार है। उन्हें इसकी जानकारी होने के बावजूद नजरअंदाज किया गया है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए कार्रवाई की जानी चाहिए।
-संतोष तिवारी, मुंबई

सरकार का रवैया निराशाजनक
हाथरस में जिस तरह की घटना सामने आई है, उससे स्पष्ट हो गया है कि न केवल अपराधियों, बल्कि व्यवस्था में बैठे अधिकारियों की भी बड़ी भूमिका है। इस जघन्य अपराध के बाद जिस तरह से मामले को दबाने की कोशिश की गई, वह सरकार की अक्षमता और निष्ठुरता को दर्शाता है। पीड़िता के परिवार के साथ हुआ दुर्व्यवहार और उनके अधिकारों का हनन, एक संवेदनशील सरकार की तस्वीर प्रस्तुत करती है। पुलिस और प्रशासन की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों ने न्याय की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना दिखाती है कि वैâसे सत्ता में बैठे लोग अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ सकते हैं। सरकार का रवैया इस मामले में न केवल निराशाजनक है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया पर भी आघात पहुंचाने वाला है। यह स्पष्ट है कि हाथरस कांड में गुनहगार केवल अपराधी ही नहीं, बल्कि वह पूरी व्यवस्था है, जो इस तरह की घटनाओं को रोकने में असमर्थ है।
-संतोष चतुर्वेदी, विरार

अगले सप्ताह का सवाल?
देश में आए दिन हिट एंड रन की घटनाएं सामने आ रही हैं। पुणे पोर्शे कांड के बाद हाल ही में मुंबई के वरली की घटना ने लोगों को हिलाकर रख दिया। आखिरकार, इस तरह की घटनाएं रुक क्यों नहीं रही हैं? इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है?
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