सामना संवाददता / मुंबई
गत शुक्रवार को विधान परिषद की ११ सीटों के लिए चुनाव हुए। इस चुनाव में महायुति के ९ और महाविकास आघाड़ी के २ उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। शेकाप के जयंत पाटील को हार स्वीकार करनी पड़ी। इस चुनाव में विधायकों की कीमत शेयर बाजार की तरह बढ़ रही थी। ऐसे तीखे शब्दों में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने सत्तापक्ष पर हमला करते हुए कहा कि यह चुनाव पैसे की ताकत बनाम लोगों की ताकत था। उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना का एक भी वोट नहीं टूटा है। एनसीपी के भी सारे वोट जयंत पाटील को मिले, लेकिन कांग्रेस को ७ वोट नहीं मिले। उन्होंने कहा कि कल विधायकों की कीमत शेयर बाजार की तरह बढ़ रही थी। २० करोड़ से २५ करोड़ रुपए और एक-दो खेती की जमीन दी गई है, ऐसा राऊत ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि यह चुनाव धनबल बनाम जनबल का था। हम अपने वोट के बल पर लड़े और जीते। हमें अपना वोट मिल गया।
गद्दारों को गद्दारों ने विजयी किया
उन्होंने सवाल किया कि शिंदे गुट और अजीत पवार गुट जीत को लेकर इतना हंगामा क्यों कर रहे हैं? बीजेपी के पास १०३ विधायक थे और उन्हें समर्थन देने वाले विधायकों ने अपने लोगों को चुना। दोनों गद्दार गुटों ने दो-दो गद्दार भी चुने। यह गद्दारों को गद्दार चुनने का चुनाव था। महाविकास आघाड़ी का क्या नुकसान हुआ? सांसद राऊत ने कहा कि कांग्रेस ने अपने विधायकों की मदद से उम्मीदवार चुना, जबकि शिवसेना के पास कोटा नहीं था। कांग्रेस और अन्य के सहयोग से शिवसेना ने भी एक सीट पर जीत हासिल की।
उन्होंने कहा कि यह छिपा नहीं है कि कांग्रेस के ७ वोट फूट गए थे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने भी इस बात को स्वीकार किया है, इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है। ये ७ लोग पहले से ही विभाजित हैं और ये वही ७ लोग हैं, जिन्होंने पिछले विधान परिषद चुनाव में ही कांग्रेस के चंद्रकांत हंडोरे को हराया था। राऊत ने यह भी कहा कि यह कहना गलत है कि महाविकास आघाड़ी को झटका लगा है। ये ७ लोग दो साल से सिर्फ कागजों पर कांग्रेस के साथ हैं। वो नाम भी सामने आ चुके हैं और हंडोरे को भी इन्हीं लोगों ने हराया था। उन्हीं ७ लोगों के साथ सत्तापक्ष ने इस चुनाव में खेल खेला।