सामना संवाददाता / नई दिल्ली
महायुति सरकार में अजीत पवार के होने से भाजपा को कोई फायदा नहीं हुआ है। उल्टे जनता के मन में भाजपा की छवि खराब हुई है। अब खबर है कि विधानसभा चुनाव से पहले अजीत दादा को महायुति से बाहर करने के लिए महायुति के दोनों घटक दलों का उनके ऊपर दबाव बढ़ता जा रहा है।
अजीत पवार ने कल अचानक दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है।
शुक्रवार को विधान परिषद के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान भवन में विजयी उम्मीदवारों के साथ ग्रुप फोटो ली, लेकिन दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार फोटो फ्रेम के बाहर थे। अजीत दादा की कमी बहुत महसूस हुई। ऐसे में शुक्रवार को यह साफ हो गया कि महायुति में कोई विवाद है। सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को फोटो फ्रेम से बाहर रहने वाले अजीत पवार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उस पृष्ठभूमि पर राजनीतिक चर्चा की। अजीत पवार को महायुति सरकार में लाने का पैâसला अमित शाह का था इसलिए अजीत पवार के गुट के प्रदर्शन की वजह से शाह पर भी गाज गिरी है। भाजपा और शिंदे गुट में इस बात का डर है कि अगर वे अजीत दादा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तो पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसलिए अजीत दादा गुट को महायुति से बाहर करने की मांग जोर पकड़ रही है। इसके लिए फडणवीस और शिंदे मिलकर अजीत पवार को दूर करने में जुट गए हैं।