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मुंबई की सड़कों पर हर तरफ दिखने लगे पॉट होल… गड्ढों में गुम `२७५ करोड़!

-‘घाती’ सरकार पर उतरा मुंबईकरों का गुस्सा

-शहर के लिए लानी थीं ७२ ‘मैस्टिक कुकर’ मशीनें

-एक भी मशीन का कहीं अता-पता नहीं है

-सिर्फ २ घंटे में भर देती हैं सड़कों के खड्डे

रामदिनेश यादव / मुंबई

गड्ढों के लिए मनपा की ओर से इस्तेमाल की गई कोई भी तकनीक कारगर नहीं होने के कारण बारिश के दौरान गड्ढों की समस्या फिर से शुरू हो गई है। मुंबई में जगह- जगह सड़कों पर गड्ढे बन रहे हैं, लेकिन मनपा की ओर से बड़े दावे के साथ तैनात की गई ७२ मैस्टिक कुकर मशीन का कहीं अता-पता नहीं है। मनपा के अनुसार, प्रत्येक वार्ड में ३ मैस्टिक कुकर तैनात हैं, लेकिन हकीकत में एक भी काम करती नजर नहीं आ रही हैं। इसके लिए मनपा ने २७५ करोड़ रुपए का बजट रखा है। अब कहीं भी इसका इस्तेमाल नहीं होने पर ‘घाती’ सरकार पर गुस्सा व्यक्त करते हुए मुंबईकरों का कहना है कि लगता है इन गड्ढों में २७५ करोड़ रुपए गुम हो गए।
बता दें कि पिछले साल मनपा ने लगभग ४०० करोड़ रुपए शहर के ७० हजार गड्ढे पाटने के लिए खर्च किए थे। इस बारे में मनपा रोड विभाग के मुख्य इंजीनियर भी खुद मीडिया को जानकारी देने से कतरा रहे हैं। उनसे बात करने की बार-बार कोशिश की गई, लेकिन हर बार उन्होंने बिजी होने का बहाना बनाकर बात नहीं की। इससे पहले मनपा के सड़क विभाग ने तेजी से सख्त होने वाले कंक्रीट और प्रतिक्रियाशील डामर जैसे दो तरीकों का उपयोग करके गड्ढों को भरने की कोशिश की थी।
मुंबईकरों की नाराजगी
मुंबईकर नरेश यादव अक्सर शिकायत करते हैं कि सड़क के गड्ढों पर डामर, कंक्रीट और रेत जैसे मिश्रण सही तरह से नहीं लगाने के कारण सड़कों की हालत खराब हो गई है। गड्ढों के चलते कई बार बड़ी दुर्घटना हो जाती है। जितेंद्र कदम ने बताया कि बाइकर तो गड्ढों के चलते अक्सर गिर जाते हैं। कई लोगों की मौत का मामला भी सामने आया है। मनपा द्वारा दावा की गई तकनीक का वास्तव में कहां और वैâसे उपयोग किया जाता है, ये सवाल हमेशा उठता है। अब ‘मैस्टिक कुकर’ का दावा किया गया लेकिन वह कहां है, कितने गड्ढे पाट रहा है, इसकी किसी को खबर नहीं है। जबकि कोर्ट ने भी मनपा को कई बार गड्ढों को पाटने को लेकर सख्त हिदायत दी है।
५०० किमी सड़कों के लिए भारी-भरकम बजट
बता दें मुंबई में कुल २,०५० किमी सड़क मनपा के कब्जे में है, इनमें से १,२२४ किमी सड़क कंक्रीट की बन चुकी है। यहां निर्माणकर्ता कंपनियां जिम्मेदार हैं। ३५६ किमी सड़क को कंक्रीट की बनाने का काम शुरू है। बचे हुए सड़कों पर गड्ढे को पाटने के लिए भारी-भरकम टीम तैनात की गई है। इसमें २२७ वॉर्ड में प्रत्येक वॉर्ड के लिए इंजीनियर नियुक्त किया गया है, जबकि हर मनपा वॉर्ड में ३ मैस्टिक कुकर अर्थात ७२ मैस्टिक कुकर तैनात होने का दावा किया गया है। कंक्रीट की सड़कों के गड्ढों को पाटने के लिए जिओ पॉलीमर, जबकि डामर की सड़कों के लिए माइक्रो सर्पेâसिंग तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है।

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