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पानी में बहा लोगों का पैसा! … अक्सा बीच पर एमएमबी द्वारा बनाई समुद्री दीवार ढही

पर्यावरणविदों ने की ध्वस्त करने की मांग
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के अक्सा बीच पर महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) द्वारा बनाई गई ६००-मीटर लंबी समुद्री दीवार ज्वार के थपेड़ों से ढहने लगी है। पर्यावरणविदों ने इस दीवार को ‘प्रकृति विरोधी’ बताते हुए इसे ध्वस्त करने की मांग की है। नेटकनेक्ट फाउंडेशन के निदेशक बीएन कुमार और कार्यकर्ता जोरू बाथेना ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के सामने उठाया।
संरचना में जगह-जगह गड्ढे
बीएन कुमार ने बताया कि यह दीवार ज्वार के पानी के प्रवाह में बाधा डालती है, जिससे संरचना में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस दीवार को गिराने और ज्वार के मुक्त प्रवाह को बहाल करने का आह्वान किया है। एमएमबी ने दीवार बनाने का तर्क तटीय कटाव से बचाव के रूप में दिया था, लेकिन महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) ने सीआरजेड अनुमोदन में शर्त रखी थी कि ज्वार के प्रभाव वाले क्षेत्र और सीआरजेड-१ में कोई ठोस निर्माण नहीं होना चाहिए।
दीवार को तुरंत गिराने की मांग
शर्त का उल्लंघन करते हुए, एमएमबी ने लगभग ९५ फीसदी निर्माण पूरा कर लिया, जबकि एनजीटी की पश्चिमी क्षेत्रीय पीठ में सुनवाई चल रही थी। बाद में एमएमबी ने सीआरजेड मंजूरी में संशोधन करने और शर्त संख्या एक को हटाने के लिए एमसीजेडएमए से संपर्क किया, जिसे एमसीजेडएमए ने मंजूरी दे दी। एनजीटी की सुनवाई में अधिवक्ता गायत्री सिंह ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और अवैध दीवार को तुरंत गिराने की मांग की। एमएमबी के अधिवक्ता साकेत माने ने समुद्र-कटाव विरोधी उपायों को उचित ठहराया, जबकि आईआईटी मुंबई की रिपोर्ट ने दीवार के लिए नए संरेखण को सही ठहराया। सिंह ने तर्क दिया कि समुद्र के कटाव को रोकने वाले किसी भी बांध का कोई संकेत नहीं था और एमएमबी ने दीवार का निर्माण किया था। नेटकनेक्ट ने बीएमसी से समुद्र तट पर बिजली के खंभों को प्रभावित करने वाले कटाव के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी, जिसका अभी तक उत्तर नहीं मिला है। बाथेना ने कहा कि पर्यावरणविद दीवार का विरोध उस दिन से कर रहे हैं जब से एमएमबी ने सामग्री डंप करना शुरू किया था।
एनआईओ से परामर्श की मांग
कुमार और बाथेना ने एनजीटी से कहा कि कटाव रोधी उपाय राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) के परामर्श से किए जाने चाहिए। नेटकनेक्ट ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से भी शिकायत की है, जिसने एमसीजेडएमए को जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। एमएमबी ने नेटकनेक्ट की शिकायतों की जांच के लिए एक आंतरिक समिति नियुक्त की थी, लेकिन रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है।

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