मुख्यपृष्ठनए समाचारबेस्ट, पुलिस में भी ‘पूजा खेडेकर' दिव्यांग सर्टिफिकेट का झोल ... सहूलियत...

बेस्ट, पुलिस में भी ‘पूजा खेडेकर’ दिव्यांग सर्टिफिकेट का झोल … सहूलियत के लिए चोरी

रामदिनेश यादव / मुंबई
आईएएस की नौकरी के लिए पूजा खेडेकर ने कैसे फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया है, यह मुद्दा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मामला चर्चा में आने के बाद फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का रैकेट भी चर्चा में आ गया है। फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के चलते राज्य में एसटी महामंडल, पुलिस, बेस्ट जैसे तमाम विभागों में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के सहारे बड़े पैमाने पर चूना लगाया जा रहा है। पुलिस विभाग में ऐसे कई मामले हैं तो एसटी महामंडल में सैकड़ों मामले विजिलेंस विभाग के पास प्रलंबित हैं। बेस्ट विभाग में भी सैकड़ों मामले हुए हैं। ५० से अधिक मामलों में विजिलेंस एक्शन मोड में है।
बेस्ट विभाग में हैवी ड्यूटी वाले कई कर्मचारियों द्वारा लाइट जॉब पाने के लिए दिव्यांग सर्टिफिकेट का जमकर दुरुपयोग किया जाता है। बेस्ट में तो ५० से अधिक मामले अभी लंबित हैं। यहां फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए ड्राइवर खुद को अनफिट बताते हुए ऑफिस में लाइट जॉब के लिए अप्लाई करते हैं। यदि उनके आवेदन स्वीकार हो जाते हैं तो उन्हें वेतन ड्राइवर का मिलता है लेकिन काम हल्का-फुल्का करना होता है। आश्चर्य तो यह है कि ऐसा करने वालों में ९० प्रतिशत ड्राइवर और १० प्रतिशत कंडक्टर होते हैं। यहां पूरी तरह से आरपीडब्ल्यूडी एक्ट २०१६ के क्षेत्र २० का दुरुपयोग ही होता है। वास्तव में जिसे जरूरत होती है, वह वंचित रह जाता है।
बेस्ट के एक अधिकारी ने बताया कि पूजा का मामला चर्चा में आने के बाद यह मुद्दा गरमाया है। बेस्ट में भी कई मामले हुए हैं। सिर्फ बेस्ट ही नहीं एसटी, पुलिस विभाग और रेलवे में भी यह खेल होता है। बेस्ट का एक मामला सामने आया था, जब पूरी तरह से फिट एक ड्राइवर ने लकवाग्रस्त होने का प्रमाण पत्र लगाकर खुद को दिव्यांग होने का प्रमाणपत्र लाया, इतना ही नहीं अपंग कोर्ट से बेस्ट को फटकार लगवाई। लेकिन जब उसका स्टिंग किया गया तब पता चला कि वह बिल्कुल फिट था और निजी कमर्शियल वाहन चलाता था, जिसके आधार पर उसे नौकरी से निकाल दिया गया, लेकिन उससे बेस्ट को सबक मिला। कई बार तो बेस्ट लेबर कोर्ट और इंडस्ट्रीयल कोर्ट में हार गई, लेकिन हाई कोर्ट ने उसे राहत दी।

अन्य समाचार