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घाती सरकार को नहीं पड़ रहा कोई फर्क … आंगनवाड़ी सेविकाओं का असहयोग आंदोलन …बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषाहार पर असर

– छात्रों की शिक्षा भी हो रही प्रभावित
सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले ५२ दिनों तक चली हड़ताल के दौरान किए गए वादे पूरे नहीं किए जाने के विरोध में आंगनवाड़ी सेविकाओं ने फिर से असहयोग आंदोलन का हथियार उठा लिया है। इसलिए इसका असर शून्य से छह वर्ष के बच्चों और गर्भवती के साथ स्तनपान करानेवाली माताओं के पोषाहार पर पड़ रहा है। इसके साथ ही छात्रों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है। इसके बावजूद घाती सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है और वह अपनी जिद पर अड़ी हुई है।
उल्लेखनीय है कि महिला व बाल विकास विभाग के तहत महाराष्ट्र में एकीकृत बाल विकास सेवा योजनाओं में लगभग १ लाख १३ हजार आंगनवाड़ी केंद्रों पर दो लाख आंगनवाड़ी सेविकाएं कार्यरत हैं। बता दें कि एकीकृत बाल विकास सेवा योजना के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों पर शून्य से छह वर्ष के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान करानेवाली माताओं को पूरक पोषाहार वितरित किया जाता है। इसके साथ ही बच्चों को नर्सरी की शिक्षा भी आंगनवाड़ी सेविकाएं ही प्रदान करती हैं। इसके अलावा टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, स्वास्थ्य रेफरल सेवाएं आदि कार्य आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा किया जाता है। फिलहाल, अब जबकि असहयोग आंदोलन शुरू हो चुका है, इससे इन सभी कार्यों पर असर पड़ेगा। इससे गर्भवती महिलाओं को समय पर अनुपूरक पोषण नहीं मिलने से उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ने की आशंका है। इसके साथ ही छात्रों की स्कूली शिक्षा में रुकावट आएगी और इसका असर छात्रों पर पड़ेगा।
आंगनवाड़ी सेविकाओं में भारी असंतोष
वेतन वृद्धि, मासिक पेंशन, ग्रेच्युटी आदि मांगों को लेकर आंगनवाड़ी सेविकाएं चार दिसंबर से २५ जनवरी तक कुल ५२ दिनों तक राज्यव्यापी हड़ताल पर रहीं। हड़ताल से बौखलाई शिंदे सरकार के महिला व बाल विकास विभाग मंत्री ने आंगनवाड़ी सेविकाओं को लिखित आश्वासन दिया था कि उनके मानधन में बढ़ोतरी की जाएगी। इसे लेकर प्रस्ताव वैâबिनेट में पेश किया जाएगा, लेकिन महिला व बाल विकास विभाग ने वह वादा पूरा नहीं किया, जिससे आंगनवाड़ी कर्मचारियों के मन में भारी असंतोष है। इसके साथ ही उन्होंने आंदोलन को और उग्र कर दिया।
इस तरह किया जा रहा असहयोग आंदोलन
सरकार की उदासीनता के कारण आंगनवाड़ी सेविकाओं ने १५ जुलाई से असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया है। इस आंदोलन में आंगनवाड़ी सेविकाएं दैनिक कार्य की मासिक रिपोर्ट नहीं देंगी। मासिक बैठकों और सरकारी बैठकों का बहिष्कार करेंगी। संगठन के महासचिव बृजपाल सिंह ने कहा है कि जिला परिषद पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन करेगी।

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