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शहाड स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ियां रहती हैं बंद …एक चालक है तीन स्टेशनों का रखवाला

स्टेशन पर जनसुविधा का अभाव

अनिल मिश्रा / शहाड
रेलवे प्रशासन जहां एक तरफ रेल यात्रियों को बेहतरीन सुविधाएं दिए जाने का ढोल बजा रहा है, वहीं दूसरी तरफ जोर-शोर से शुरू प्रचार सफेद हाथी दिखाई दे रहा है। शहाड रेलवे स्टेशन पर लाचार और दिव्यांगों के लिए लगाई गई स्वचालित सीढ़ी रेलवे प्रशासन की अनदेखी के चलते अकसर बंद रहती है, जिसके चलते वयोवृद्ध, गर्भवती महिलाओं सहित दिव्यांगों का एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर आना-जाना काफी मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही प्लेटफॉर्म नंबर-२ पर बनाए गए शौचालय पर ताला लगा है, जिसे देखकर रेल यात्रियों का कहना है कि लगता है इस शौचालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने के बाद ही आम यात्रियों के लिए खोला जाएगा?
मिली जानकारी के अनुसार, शहाड रेलवे स्टेशन पर लगाई गई स्वचालित सीढ़ी, जिसे ठेकेदार के मार्फत चलाया जाता था, उसका टेंडर खत्म हो जाने के कारण जुगाड़ के तहत एक आदमी शहाड, आंंबिवली, टिटवाला इन तीनों स्टेशनों पर लगाई गई स्वचालित सीढ़ियों की देख-रेख कर रहा है। इन तीनों स्टेशनों पर एक साथ देख-रेख करने के कारण इन सीढ़ियों की देखरेख करनेवाले व्यक्ति को तीनों स्टेशनों के बीच दौड़ना पड़ता है। सीढ़ी के बंद होने से रोजाना अनगिनत लोग परेशान रहते हैं। इतना ही नहीं, रेलवे प्रशासन की अनदेखी के कारण महीनों पहले बने शौचालय को न जाने क्यों बंद करके रखा गया है? प्लेटफॉर्म नंबर-२ पर शौचालय की व्यवस्था न होने के कारण रेल यात्री परेशान रहते हैं और स्टेशन परिसर को गंदा करते रहते हैं, जिस कारण ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की ऐसी की तैसी हो रही है। स्टेशन की छत से पानी का रिसाव होने के कारण स्टेशन परिसर में बैठना अथवा खड़ा रहना कठिन हो गया है। इन दिनों स्टेशन को चमकाने में रेलवे प्रशासन लगा है, जो निरर्थक साबित हो रहा है और सफाई के अभाव में हर तरफ गंदगी का आलम पसरा हुआ है।

शहाड रेलवे स्टेशन के प्रबंधक ने कहा कि उन्हें प्रेस से बात करने का अधिकार नहीं है। फिर भी उन्होंने बताया कि यात्री हर रोज स्वचालित सीढ़ियों की शिकायत करते हैं। शिकायत पुस्तिका में की गई शिकायत की जानकारी संबंधित वरिष्ठ लोगों तक पहुंचा दी गई है। अब अगली कार्यवाही वरिष्ठ स्तर पर होनी है और वे ही लोग कार्यवाही कर सकते हैं। हमारे पास जो भी शिकायत आती है उसे अपने स्तर पर हम तुरंत निपटाते हैं। कभी-कभी स्टेशन पर घूमते छोटे बच्चे या फिर रेल प्रवासी स्वचालित सीढ़ियों का बटन बंद कर देते हैं, जिसकी वजह से सीढ़ियां बंद हो जाती हैं।

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