सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने पिछले तीन दिनों से मुंबई में रहते हुए मीडिया से दूरी बनाए रखी है। वैष्णव ने मुंबई का तीन बार दौरा किया, लेकिन एक बार भी मीडिया से मुलाकात करना उचित नहीं समझा।
इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि गुरुवार को उत्तर प्रदेश में हुई रेल दुर्घटना के बाद भी उन्हें वहां जाने की जरूरत महसूस नहीं हुई। इस दुर्घटना में कई लोग घायल हुए हैं, लेकिन मंत्री महोदय मुंबई में ही बने रहे, यहां वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो वैष्णव का मुंबई दौरा मुख्य रूप से बीजेपी की चुनावी रणनीति पर केंद्रित था। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कीं, जिनका उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करना था। इस बीच विपक्षी दलों ने वैष्णव के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि एक जिम्मेदार मंत्री होने के नाते उन्हें उत्तर प्रदेश के दुर्घटनास्थल पर जाना चाहिए था और प्रभावित लोगों की मदद करनी चाहिए थी। विपक्ष का यह भी कहना है कि वैष्णव की प्राथमिकताएं गलत हैं और वे जनता की सुरक्षा के बजाय राजनीतिक फायदे पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
मीडिया से बना रहे हैं दूरी
मीडिया से दूरी बनाए रखना और दुर्घटना के बावजूद मुंबई में बने रहना, वैष्णव की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह पहली बार नहीं है, जब किसी मंत्री ने चुनावी तैयारियों को प्राथमिकता दी हो, लेकिन जनता की सुरक्षा और उनकी समस्याओं का समाधान करना मंत्री का प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए। इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दिया है कि क्या मंत्री का काम केवल चुनावी तैयारियों तक सीमित होना चाहिए या उन्हें जनता की सुरक्षा और सेवा पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए। वैष्णव का यह कदम निश्चित रूप से विवादों में है और इसका असर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है।