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कोरोना का कोप … २ साल घट गई हिंदुस्थानियों की उम्र! …अकादमिक पत्रिका ‘साइंस एडवांस’ में छपी रिपोर्ट

केंद्र सरकार बोली, अध्ययन के निष्कर्ष अपुष्ट
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
हाल ही में फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के कोरोना प्रभावित होने से एक बार फिर कोरोना का खतरा मंडराने लगा है। इसी बीच एक खबर ने हर किसी को परेशान कर दिया है। इस खबर के अनुसार, कोरोना के कारण आम हिंदुस्थानियों की औसत उम्र दो साल घट गई है। यह खबर एक साइंस पत्रिका में छपी है। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को अपुष्ट बताया है।
मिली जानकारी के अनुसार, कोविड महामारी के दौरान जीवन प्रत्याशा को लेकर अकादमिक पत्रिका ‘साइंस एडवांस’ में यह रिपोर्ट छपी है। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शनिवार को कहा गया कि इस अध्ययन के निष्कर्ष अपुष्ट और अस्वीकार्य अनुमानों पर आधारित हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट में इस स्टडी के नतीजे प्रकाशित होने के बाद मंत्रालय का यह बयान सामने आया है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि इस अध्ययन के लेखकों ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-५ के विश्लेषण के लिए मानक पद्धति का पालन करने का दावा किया है, लेकिन इसमें गंभीर खामियां हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘सबसे बड़ी त्रुटि यह है कि लेखकों ने जनवरी और अप्रैल २०२१ के बीच परिवारों के उपसमूह पर अध्ययन किया है। २०२० में इन परिवारों में मृत्यु दर की तुलना २०१९ से की गई और नतीजों को पूरे देश के हिसाब से लागू किया है।’ इसमें कहा गया कि एनएफएचएस सैंपल तभी देश का प्रतिनिधित्व करता है जब इसे समग्र रूप से देखा जाए। इसमें कहा गया कि इस विश्लेषण में १४ राज्यों के २३ प्रतिशत परिवारों पर आधारित अध्ययन को देश का प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं माना जा सकता। बयान में कहा गया कि दूसरी खामी सैंपल्स के संभावित चयन और पूर्वाग्रह से संबंधित है, क्योंकि ये आंकड़े उस समय जुटाए गए थे जब कोविड-१९ महामारी चरम पर थी। इसमें कहा गया कि भारत में नागरिक पंजीकरण प्रणाली अत्यधिक मजबूत है और ९९ प्रतिशत से अधिक मौतों को दर्ज करती है। इस सिस्टम के आंकड़ों से पता चलता है कि २०१९ की तुलना में २०२० में मृत्यु पंजीकरण में ४.७४ लाख की वृद्धि हुई। बयान में कहा गया कि २०१८ और २०१९ में मृत्यु पंजीकरण में क्रमश: पिछले वर्षों की तुलना में ४.८६ लाख और ६.९० लाख की वृद्धि हुई थी। साइंस एडवांस के अध्ययन में २०२० में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग ११.९ लाख मौतें अधिक बताई गई, जो भ्रामक है।

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