उल्हासनगर में सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। उन गड्ढों को भरने के लिए मनपा ने पांच करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। गड्ढों को भरने के लिए ठेकेदार ने जगह-जगह गिट्टी, मिट्टी और पत्थर के टुकड़ों को गिरा रखा है। जब कोई आवाज उठाता है तो कुछ ही मिनटों में गड्ढों को भर दिया जाता है, लेकिन गड्ढों में भरी गई मिट्टी और गिट्टी को मानसूनी पानी के साथ बहने में घंटा भर भी समय नहीं लगता। आज दुनिया चांद पर जा रही है और तकनीक ने काफी प्रगति कर ली है, परंतु उल्हासनगर में आज भी गिट्टी-मिट्टी का खेल शुरू है और पैसे की बर्बादी शुरू है। शहाड रेलवे के उड़ान पुल पर पड़े गड्ढों को भरने के लिए ठेकेदार ने अपनी कार्रवाई का संकेत दे दिया है कि वह शहर के गड्ढों को भरने के लिए तैयार है। मिट्टी, गिट्टी तथा पत्थर के कारण मानसून के बाद इतनी धूल उड़ती है कि लोगों का जीना हराम हो जाता है। मनपा प्रशासन को चाहिए कि वो कोई नई तकनीकी अपनाए। मिट्टी डालने की बजाय डांबर की सड़क पर पड़े गड्ढों को समाप्त करने के लिए गड्ढों के अगल-बगल के डांबर को खरोंच के निकालकर सड़क को गड्ढा मुक्त किया जाए।
– रमेश सिंह, उल्हासनगर