राज्य सरकार लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम से बाघनख लेकर आई है। ये सच है कि यह बाघनख ऐतिहासिक है, लेकिन जैसा कि चोरों की सरकार दावा कर रही है, इतिहास के शोधकर्ताओं को इस बात पर संदेह है कि क्या यह वही बाघनख है, जिसका इस्तेमाल शिवराय ने अफजल खान का वध करने के लिए किया था? लंदन के जिस संग्रहालय से ये बाघनख महाराष्ट्र लाए गए, उस संग्रहालय को यकीन नहीं है कि ये बाघनख छत्रपति शिवराय के ही हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव के मुहाने पर चोरों की सरकार महाराष्ट्र के सर्वोच्च श्रद्धास्थल माने जानेवाले छत्रपति के बाघनख का ‘जुमला’ करे, यह अत्यंत शर्मनाक बात है। कई साल पहले इंग्लैंड की रानी के संग्रहालय से शिवराया की भवानी तलवार को महाराष्ट्र लाने के जुमले का प्रचार हुआ ही था। अब शिंदे-फडणवीस ने बाघनख का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। लंदन से लाए गए इन बाघनखों को महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों पर ले जाकर इस समारोह का राजनीतिकरण किया जाएगा। पिछले चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी और उनके लोगों ने शिवराय का इस्तेमाल किया था। शिवराय के साथ मोदी की तस्वीरें छापी गई थीं। इसके बाद ऐसे पोस्टर लगे, जिनमें लिखा था कि मोदी विष्णु के अवतार बन गए हैं और प्रत्यक्ष प्रभु श्रीराम की उंगली पकड़कर वे राम को अयोध्या के नए मंदिर में ले जा रहे हैं, लेकिन जैसे ही मोदी अयोध्या में ही हार गए तो मोदी ने राजनीतिक सफलता हासिल कर चुके ओडिशा में भगवान जगन्नाथ का नाम स्मरण शुरू कर दिया। शिवराय और श्रीराम पीछे रह गए। मोदी, शिंदे, फडणवीस अब ‘बाघनख’ की हवा बनाकर महाराष्ट्र की भावनाओं का अपमान कर रहे हैं। बाघनख के निमित्त छत्रपति शिवराय के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाह रहे हैं। ये दर्दनाक है। औरंगजेब के समय भी शिवराय का इतना अपमान नहीं हुआ, जितना शिंदे-फडणवीस आदि लोगों ने शिवराय का बाजारू उपयोग कर के किया। महाराष्ट्र में धोखाधड़ी की राजनीति किस स्तर तक पहुंच गई है, इसका उदाहरण यानी लंदन से लाए गए बाघनख हैं। इतिहासकारों की राय बाघनख को लेकर अलग-अलग है और वे सामने भी आए हैं। चूंकि राज्य की शक्तियां उन लोगों के हाथ में हैं, जिनका इतिहास के ‘ओर’ से ‘छोर’ तक कोई संबंध नहीं है, इसलिए उन्होंने इतिहास का मजाक बना दिया है। जब से मोदी सत्ता में आए हैं, उन्होंने इतिहास को हर तरह से मिटाने की ठान ली है। शिवराय की शौर्य गाथा में बाघनख महत्वपूर्ण है ही, लेकिन चोरों की सरकार के नकली सरदार कहेंगे कि यही बाघनख असली हैं तो ये नहीं माना जा सकता। शिंदे और फडणवीस की जोड़ी ने महाराष्ट्र के इतिहास को पगलाई खोपड़ियों की मानसिकता से प्रस्तुत करने का काम किया है। इसलिए वे कौवे को मोर और लोमड़ियों को बाघ साबित करने की जल्दी में हैं। उस पर लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जनता ने उनके पेट में बाघनख घुसाया है, जिससे उनका तड़पना खत्म नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री मिंधे का कहना है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के बाघनख को नकली बाघनख बताने वाले नकली नेताओं को असली बाघनख का महत्व क्या पता होगा? लेकिन फडणवीस की बालबुद्धि यह कहने से आगे नहीं बढ़ी कि ‘विरोधियों की मंशा भी नकली है और उनकी बुद्धि भी नकली है।’ असल में, कोई नहीं कहता कि बाघनख नकली है, लेकिन शिंदे-फडणवीस की दशा ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ की तरह हो गई है! क्या ये बाघ के पंजे वास्तव में शिवराय द्वारा उपयोग किए गए थे? इंद्रजीत सावंत जैसे इतिहासकारों ने यह सवाल पूछा और सावंत ने अपने संदेह के समर्थन में जनता के सामने सबूत पेश किए, उसमें मिंधे-फडणवीस को मिर्ची लगने की वजह क्या है? मूलत: जिन शासकों ने शिवराय के महाराष्ट्र के स्वाभिमान को दिल्ली के चरणों में गिरवी रख दिया है और जो आए दिन दिल्ली में चरण वंदना कर रहे हैं, क्या उन्हें शिवराय के बाघनखों के बाबत बोलने का नैतिक अधिकार है? मिंधे-फडणवीस, अजीत पवार, नरेंद्र मोदी को छत्रपति शिवराय और अमित शाह को संभाजी राजा मान रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र असली शिवराय का भक्त है। इसलिए वह गुजरात के व्यापारी शासकों के सामने नहीं झुकेगा। शिवराय ने सूरत पर क्यों चढ़ाई की? मिंधे-फडणवीस को इसका ज्वलंत इतिहास खंगालना चाहिए। यह हास्यास्पद है कि मिंधे फडणवीस अपने साधारण सिर को अपने नाखूनों से खुजलाने के लिए तैयार नहीं हैं, जबकि गुजरात के व्यापारी शासक आज मुंबई-महाराष्ट्र को लूट रहे हैं। धारावी पुनर्वास के नाम पर मुंबई गुजरात के व्यापारी को दहेज के साथ देते वक्त, जिनकी उंगलियों के नाखून नहीं थरथराते, अब वे बाघनखों पर प्रवचन झाड़ रहे हैं। महाराष्ट्र के लुटेरों के, मराठी स्वाभिमान को गंदा करने वालों के जूते चाटने वाले नकली बाघ ‘बाघनख’ लाए और उन बाघनखों के लिए राजनीतिक मेला लगाया। इतिहास तलवारों और बाघनखों से बनाया जाता है। केवल तलवारें, बाघनख इतिहास नहीं बनाते। तलवार की मूठ और बाघनख जिसके हाथ में है वो मूठ, वह हाथ इतिहास बनाता है। राज्य के लाचार शिंदे-फडणवीस के हाथ में बाघनख शोभा नहीं देते। बाघनख ल्ााने के बावजूद गुजरात के व्यापारी मुंबई-महाराष्ट्र को लूट रहे हैं और इन लोगों ने शिवछत्रपति का नाम लेकर बाघनखों का मेला लगा दिया है। ये बाघनख कल विधानसभा में इनकी ही अंतड़ियों में घुसेंगे!