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गुटखा खाने वाले लोगों के चलते बदल दिया गया शहाड स्टेशन का रंग…गुटखा बेचने वालों पर नहीं हो रही है कार्रवाई…राज्य सरकार की गुटखा बंदी योजना हो रही है नाकाम!

अनिल मिश्रा / उल्हासनगर

महाराष्ट्र के सबसे अलग-कानून को न मानते हुए कानून की धज्जियां उड़ाने वाले उल्हासनगर शहर में लचर कानून के कारण राज्य सरकार के द्वारा प्रतिबंधित गुटखा बिक्री जोर-शोर से शुरू है। रेलवे प्रशासन ने गुटखा खाकर दीवार पर न थूकने को लेकर काफी जनजागृति की थी। इतना ही नहीं शहाड स्टेशन का इन दिनों अमृत योजना के तहत सौंदर्यीकरण शुरू है। इसके बावजूद रेल यात्रियों का थूकना बंद न होता देख रेलवे प्रशासन ने दीवार गुटखे के थूक से लाल न दिखाई दे, इसके लिए लाल रंग से तीन से चार फूट तक लाल रंग से कलर करवा दिया है। इसके बावजूद लोग सुधर नहीं रहे हैं। गुटखा बिक्री का प्रत्यक्ष प्रमाण शहाड रेलवे स्टेशन की सफेद दीवार थी। जिस पर लाल रंगों का थूका गया पिच दिखाई देता था, जो देखने में भद्दा दिखाई देता था।
शहाड रेलवे स्टेशन के समीप आने जाने के रस्ते पर खुला गुटखा बिक्री शुरू है। इस गुटखा बंदी की जबाबदारी पुलिस, मनपा, फूड एंड ड्रग्स विभाग को दी गई है। उल्हासनगर शहर में आए दिन बड़ी मात्रा में गुटखा के भंडार पकड़े गए। इतना ही नहीं शहाड रेलवे स्टेशन के गुटखा बिक्री पर पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई। इसके बावजूद दूसरे दिन फिर से बिक्री शुरू हो जाती हैं। रेलवे प्रशासन, रेल सुरक्षा बल, लौह मार्ग पुलिस, टीसी भी स्टेशन के अंदर गुटखा खाकर थूकने वाले रेल यात्रियों को भी दंडित करने में फेल साबित हो रही है। सरकारी यंत्रणा द्वारा गुटखा बिक्री की बंदी व थूकने वालों को रोकने में नाकाम होने के चलते स्टेशन परिसर, कचरे के डिब्बे के आस-पास गुटका की गंदगी देखी जा सकती है।
शहाड रेलवे स्टेशन के प्रबंधक इमये कुमार ने बताया कि सफाई के लिए रेलवे प्रशासन तरह-तरह के अभियान करता है। उद्घोषणा की जाती है। इसके बावजूद रेल यात्री सफाई में सहयोग नहीं दे रहे हैं। गंदगी करने वाले लोगों पर 200 रुपए आर्थिक दंड भरने का प्रावधान है। अब तक दो-चार लोगों को दंडित किया गया है। टीसी को दंडित करने का अधिकार दिया है, परंतु टीसी तीन हैं। टिकट चेक करे या गुटखा खाने वाले को पकड़े। सरकार को चाहिए कि स्टेशन में गुटखा लाने, खाने वालों पर दंड का प्रावधान करे। यहां उल्टा है थूकते पकड़ो, फिर दंड लगाओ ऐसा नियम है। सवाल है कि जो गुटखा खाएगा वह स्टेशन, गाड़ी में कहीं न कहीं तो थूकेगा। कई बार गुटखा खाकर थूकने के चक्कर में गिरने से रेल यात्रियों की मौत तक हुई है। गुटखा खाकर थूकने के कारण गाड़ी भी गंदी हो जाती है।

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