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सिर्फ मैसेज भेजने से कोई अपराधी नहीं होता! … हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने स्टॉक ब्रोकिंग घोटाले के मुख्य आरोपी से संपर्क और व्हॉट्सऐप पर संदेशों के आदान-प्रदान के मामले में गिरफ्तार एक स्टॉक ब्रोकर को राहत दी। यह स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी अपराध के आरोपी के साथ संदेशों के जरिए संपर्क में रहने से कोई अपराधी नहीं हो जाता। कोर्ट ने ऐसी तल्ख टिप्पणी करते हुए आरोपी मनीष शाह को जमानत दे दी।
कस्तूरबा मार्ग पुलिस ने शाह को तीन फरवरी को गिरफ्तार किया था। जे.एम. फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के एक कर्मचारी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने पिछले साल २७ नवंबर को शिकायत दर्ज किया था। आरोप है कि शेयरधारकों के फर्जी डीमैट खाते बनाकर पैसे निकाले गए और १४ करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की गई। पुलिस ने इस मामले में शाह समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोप पत्र में कहा कि घोटाले का मुख्य मास्टरमाइंड अरविंद गोयल था। शाह ने जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शाह और गोयल ने व्हॉट्सऐप संदेशों का आदान-प्रदान किया था। इसके अलावा शाह के गोयल के साथ संबंधों का कोई अन्य सबूत नहीं होने का तर्क एड. सुजय कांथावाला और एड. प्रसाद बोरकर द्वारा दिया गया। इस पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने शाह को एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर जेल से रिहा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि स्टॉक ब्रोकिंग घोटाले के मुख्य आरोपी को केवल संदेशों के माध्यम से संपर्क में रखा गया था। कोर्ट ने कहा कि इससे यह नहीं कहा जा सकता कि संदेश भेजने वाले स्टॉक ब्रोकर की शेयरधारकों को धोखा देने में बड़ी भूमिका है।

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