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पुणे में मानवता हुई शर्मसार : मरीज को ससून अस्पताल के डॉक्टरों ने सड़क पर बेसहारा छोड़ा … हादसे में गवां दिया था पैर

सामना संवाददाता / पुणे
पुणे में एक बेसहारा व्यक्ति को बस ने टक्कर मार दी थी। बाद में उसे इलाज के लिए नजदीकी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन एक डॉक्टर और सहयोगी बाद में उसे अस्पताल से बाहर ले गए और कई किलोमीटर दूर सड़क पर छोड़ दिया। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एक सामाजिक संगठन द्वारा की गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा १२५ (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया गया है। संगठन के एक सदस्य रितेश गायकवाड़ ने बताया कि वे उन लोगों के लिए काम करते हैं, जो बेसहारा और सड़कों पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम आमतौर पर किसी आपात स्थिति में ऐसे मरीजों को इलाज के लिए ससून अस्पताल ले जाते हैं, लेकिन हमें हाल ही में पता चला कि अस्पताल के अधिकारी निराश्रित मरीजों को छोड़ देते हैं। गायकवाड़ ने कहा कि इसके बाद हमने जाल बिछाने का पैâसला किया और रात में अस्पताल के आस-पास नजर रखी। मैंने ऑटोरिक्शा चालक की तरह काम किया। २२ जुलाई की सुबह जब वह ऑटोरिक्शा के साथ अस्पताल के गेट के बाहर थे, तो अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि वे एक मरीज को ले जाना चाहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मैं आसानी से इसके लिए तैयार हो गया और एक ही सवारी को बैठाने की पेशकश की। मरीज मेरे वाहन पर था, जिसके पैर नहीं थे। बाइक पर दोनों डॉक्टरों ने मुझे उनके पीछे चलने को कहा। गायकवाड़ ने कहा कि मैंने यरवाद में मानसिक अस्पताल तक डॉक्टरों का पीछा किया, जहां उन्हें मरीज को बरगद के पेड़ के नीचे छोड़ दिया और फरार हो गए।

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