मुख्यपृष्ठस्तंभसमाज के सिपाही : बेघरों को मुहैया करा रहे हैं घर

समाज के सिपाही : बेघरों को मुहैया करा रहे हैं घर

राजेश जायसवाल

मैं राजस्थान से हूं, परंतु मेरा जन्म मुंबई में हुआ और मैं यहीं पला और बढ़ा। ग्रेजुएशन भी मैंने मुंबई से ही किया। इस मायानगरी में रहते हुए मैंने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखा। खासकर, उन लोगों के बारे में मेरे मन में हमेशा ये खयाल आता था जो लोग मुंबई की संकरी गलियों में बनी ‘चालियों’ यानी स्लम एरिया में रहकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं, उनकी दिनचर्या शौचालयों में लगी लंबी लाइनों और पीने के लिए पानी से शुरू होती है। जब मैं उन परिवारों की माताओं और बहनों को सुबह उठकर शौचालयों में लाइन लगाते देखता तो मन को बहुत पीड़ा होती थी। तभी मैंने प्रण कर लिया कि एक न एक दिन मैं इन्हें इस परेशानी से जरूर निजात दिलाऊंगा। इसके लिए सबसे पहले मैंने साल २००८ में महाराष्ट्र राज्य चैरिटी कमिश्नर ऑफिस से ‘आरजू स्वाभिमान नागरिक समिति’ नामक संस्था पंजीकृत कराई और फिर यहीं से अपने मिशन की तरफ चल पड़ा।
‘आरजू स्वाभिमान नागरिक समिति’ के अध्यक्ष राजेंद्र खुशालराज मेहता बताते हैं कि इस संस्था ने अब तक मुंबई तथा उपनगरों में प्रधानमंत्री आवास योजना की सब्सिडी का लाभ दिलाते हुए चार हजार से अधिक लाभार्थी परिवारों को कम बजट वाले सस्ते घर मुहैया कराए हैं। समाजसेवी राजेंद्र मेहता का कहना है कि समिति का मुख्य उद्देश्य मुंबई को झोपड़ा मुक्त बनाने के साथ-साथ पैसों के अभाव के चलते जो लोग अपना घर नहीं बना पाते, ऐसे जरूरतमंद लोगों को उनके बजट में किफायती आशियाना उपलब्ध कराकर उनका सपना पूरा करना है। उन्होंने बताया कि संस्था ने अब दूसरे चरण में भांडुप, गोरेगांव और कांदिवली में भी किफायती आवास का निर्माण शुरू कर दिया है। जरूरतमंद लोग स्वयं दादर स्थित संस्था के कार्यालय में आकर सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। राजेंद्र मेहता कहते हैं कि मुंबई जैसे शहर में एक गरीब भी अपना खुद का घर होने का सपना संजोये दिन-रात परिश्रम करता है, परंतु इसमें अधिकांश लोगों का सपना अधूरा रह जाता है। मिडिल क्लास पैâमिली के पास सस्ता घर लेने के लिए भी पैसे नहीं होते, बैंक और क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटियां भी उन्हें लोन नहीं देतीं, जिसके कारण निजी घर होने का उनका सपना अधूरा रह जाता है। इसके लिए २०१६ में मैंने ‘निवारा को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड’ की स्थापना की। आज काफी जरूरतमंद परिवार इसका लाभ उठा रहे हैं। मेहता बताते हैं कि २०२० में कोरोना के दौरान कई स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ जुड़कर जागरूकता अभियान चलाया। घर-घर जाकर दवाइयां बांटने के साथ ही लोगों को अस्पताल में एडमिट कराने में मदद पहुंचाई, जिसके लिए उन्हें ‘कोरोना योद्धा’ सम्मान से सम्मानित किया। आत्मविश्वास से लबरेज मेहता कहते हैं कि आपके सपने तभी पूरे होंगे जब आपके भीतर मेहनत, लगन और ईमानदारी से काम करने का जज्बा होगा। आखिर में उन्होंने कहा कि आगे भी मैं इसी जज्बे के साथ समाज हित में काम करता रहूंगा।

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