सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में फजीहत के बाद अब मोदी सरकार की नींद खुली है। खबर है कि मोदी सरकार जीएसटी में बदलाव कर सकती है। इसके तहत चार की जगह दो या तीन स्लैब किए जा सकते हैं।
बता दें कि मोदी सरकार ने जो जीएसटी लागू किया है, उसे न तो आम लोगों ने पसंद किया है और न ही व्यापारियों ने। खासकर छोटे व्यापारियों की तो हालत ही खराब हो गई है। कई लघु व मध्यम उद्योग इस चक्कर में तबाह हो गए। इसका खामियाजा सरकार को गत लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा। यही वजह है कि सरकार जीएसटी के मौजूदा ४ स्लैब को घटाकर तीन पर लाने की योजना बना रही है। इस बदलाव के संबंध में सरकार के एक अधिकारी ने संकेत दिए हैं। बता दें कि साल २०१७ में जीएसटी को लागू किया गया था। इसके तहत लगभग १७ स्थानीय कर एवं उपकर शामिल किए गए। एक बिजनेस मीडिया हाउस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कल कहा, ‘जीएसटी में बहुत अधिक स्लैब (रेट वर्गीकरण) विवादों को जन्म दे रहे हैं और इसके समाधान की जरूरत है। अग्रवाल ने कहा कि जुलाई २०१७ में जीएसटी के लागू होने के बाद से टैक्स स्ट्रक्चर में काफी सुधार हुआ है। इससे सरकार को स्लैब की समीक्षा करने की गुंजाइश दिखती है। अग्रवाल ने कहा कि सरकार का इरादा ५ फीसदी, १२ फीसदी, १८ फीसदी और २८ फीसदी के मौजूदा स्लैब को २ या तीन स्लैब में बदलना है। इसके जरिए जीएसटी स्ट्रक्चर को सरल बनाया जा सकता है। नई दरें रेवेन्यू कलेक्शन पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगी। इसकी कवायद अगले कुछ महीनों में शुरू की जाएगी। बता दें कि जून २०२४ में जीएसटी रेवेन्यू कलेक्शन लगभग १.७४ लाख करोड़ रुपए रहा। यह एक साल पहले के इसी महीने यानी जून २०२३ के कलेक्शन १.६१ लाख करोड़ रुपए से लगभग ७.७ फीसदी अधिक है। चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में कुल जीएसटी कलेक्शन ५.५७ लाख करोड़ रुपए है। इस साल अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन २.१० लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गया था। पिछले साल ऑनलाइन गेमिंग पर लगाए गए २८ फीसदी जीएसटी के बाद सरकार ने अक्टूबर २०२३ से कंपनियों से १३० अरब रुपए से अधिक जुटाए हैं।