सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव के बाद अब मोदी की गारंटी अपना असर दिखानेवाली है। महंगाई के कारण देश की जनता पेट से तो भूखी है ही, अब आगामी १ अगस्त से जनता पैरों से भी नंगी हो जाएगी। इसका कारण है कि सरकारी नीति के तहत १ अगस्त से देश में जूते-चप्पलों के लिए ‘बीआईएस’ लागू किया जा रहा है। इसके तहत जूते बनाने के काम आनेवाली ४६ चीजों पर असर पड़ेगा और जूते महंगे हो जाएंगे।
आम जनता पर महंगाई का वार
अनाज से जूते तक दुश्वार
देश में महंगाई का आलम ऐसा है कि आम आदमी बड़ी मुश्किल से थाली में खाना जुटा पा रहा है। थोक व खुदरा महंगाई दोनों ने ही आम आदमी की कमर तोड़ रखी है। अनाज से लेकर सब्जियों की कीमतों ने हर किसी को बेहाल कर रखा है। अब बारी जूतों की है। १ अगस्त से जूते, सैंडल और चप्पल पर महंगाई की गाज गिर सकती है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) की रिलीज के मुताबिक, बाजार में बिकने वाले सभी जूतों को नए क्वालिटी स्टैंडर्ड पर खरा उतरना होगा। इस नए नियम का पालन न करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई हो सकती है।
इस मामले में शिवसेना चर्मउद्योग कामगार सेना के अध्यक्ष मयूर कांबले ने बताया कि सरकार को मजदूरों को बीआईएस के अंदर नहीं लाना चाहिए क्योंकि यह मुंबई से चमकारों को खत्म कर रहा है। कई चर्म कामगार मुंबई से बाहर चले गए। उन्हें काम छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बता दें कि नए नियम के मुताबिक, जूते बनाने वाली कंपनियों को अब बीआईएस के दो नए स्टैंडर्ड आईएस ६७२१ और आईएस १०७०२ का पालन करना होगा। इन स्टैंडर्ड में जूतों की क्वालिटी, इस्तेमाल होने वाली सामग्री और सुरक्षा जैसे कई पहलुओं पर ध्यान दिया गया है। इस नए नियम के लागू होने से जूतों की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है, क्योंकि कंपनियों को नए स्टैंडर्ड के हिसाब से जूते बनाने में ज्यादा खर्च आएगा। १ अगस्त से जूतों से जुड़ी ४६ चीजों पर नए बीआईएस के नियम लागू होंगे। ब्यूरो ने लोगों को जानकारी देने के लिए इन नियमों को अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है। नए नियमों के मुताबिक, जूतों में इस्तेमाल होने वाली चीजों जैसे रेक्सिन, इनसोल और लाइनिंग की जांच होगी। जूते के बाहरी हिस्से की भी कड़ी जांच होगी। इन सामग्रियों के इस्तेमाल से जूतों को बनाने का खर्च बढ़ जाएगा, लेकिन ब्यूरो ने अभी तक ये नहीं बताया है कि कीमतें कितनी बढ़ेंगी या इस बढ़ोतरी को वैâसे कम किया जाएगा।