सामना संवाददाता / उल्हासनगर
उल्हासनगर शायद विश्व का पहला शहर होगा, जहां पर धनराशि का जमकर दुरुपयोग जनप्रतिनिधि, अधिकारी तथा ठेकेदार कर करे हैं। उल्हासनगर मनपा के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो शहर की बिगड़ी दशा को सुधार सके। उल्हासनगर में करोड़ों रुपए खर्च करके सैकड़ों फव्वारे चौक, मुख्य रास्ते, बगीचों के अलावा तमाम अन्य जगहों पर लगाए गए हैं, लेकिन आज अधिकांशत: फव्वारे बंद पड़े हैं। बंद पड़े फव्वारों की मरम्मत तक नहीं हो पा रही है। जिन फव्वारों को शहर की सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाया गया था, वे फव्वारे आज कचरों से पटे पड़े हैं। सुरक्षा दीवार, लोहे की फेसिंग, दरवाजे आदि सब टूटे पड़े हैं। फव्वारों में लगे काफी सामान चोरी हो चुके हैं। करोड़ों रुपए खर्च कर लगाए गए फव्वारे सुरक्षा रक्षक के अभाव में भंगार हो गए हैं। यही स्थिति मनपा के समाज मंदिर प्रवेश द्वार की भी है, जो अब टूट रहा है। प्रवेश द्वार पर नगरसेवकों के नाम तथा अन्य जानकारियां टूट चुकी हैं। यही हाल बगीचों और सड़कों का भी है। उल्हासनगर की स्थिति ऐसी है कि यहां सड़क बनने से पहले ही व्रैâक हो जाती है। जब हर जगह कमीशन का बोलबाला है तो फिर मनपा के निर्माण की गुणवत्ता, क्वॉलिटी को कौन जांचे, कौन परखे?