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सरकार ने ` २००० के नोटों पर ` १३,००० करोड़ बर्बाद कर दिए… ०२ फीसदी से ज्यादा नोट वापस नहीं लौटे… वित्त मंत्री ने संसद को दी जानकारी

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

वित्त मंत्री ने बताया कि नवंबर, २०२६ में ५०० और १,००० रुपए के नोट कुल नोटों का ८६.४ फीसदी था, इसलिए २००० रुपए का नोट शुरू किया गया था। इसका मकसद पूरा हो जाने के बाद इसे बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि लेन-देन के लिए लोग २००० के बैंक नोटों को तरजीह भी नहीं दे रहे थे। हालांकि, २.०८ फीसदी २००० रुपए के नोटों का लौटना अभी बाकी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ८ नवंबर, २०१६ को नोटबंदी का एलान किया था। इस दौरान ५०० और १००० रुपए के नोट बंद कर दिए थे। इसके बाद लोगों की तकलीफों को जल्द दूर करने के लिए सरकार ने २००० रुपए का नोट शुरू किया था। मगर इसकी उम्र ७ साल से भी कम रही और सरकार ने इसे १९ मई, २०२३ को बंद कर दिया। साथ ही लोगों से अपील की थी कि वह इसे जमा करा दें। हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद ७४०९ करोड़ रुपए मूल्य के २००० रुपए के नोट अभी भी वापस नहीं लौटे हैं। अब सरकार ने जानकारी दी है कि २००० रुपए के एक नोट को छापने में उन्हें ३.५४ रुपए खर्च करने पड़े थे। इसके १००० नोट के बंडल को छापने में ३,५४० रुपए का खर्च आया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया कि जुलाई, २०१६ से जून २०१८ के बीच सभी नए नोटों की प्रिंटिंग पर १२८७७ करोड़ रुपए की लागत आई थी। वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, २००० रुपए के ३७०.२ करोड़ नोटों की सप्लाई की गई। इसकी वैल्यू ७.४० लाख करोड़ रुपए है। सरकार ने २००० रुपए के नोटों के साथ ५०० रुपए, २०० रुपए, १०० रुपए, ५० रुपए, २० रुपए और १० रुपए के नए सीरीज वाले नोट भी जारी किए थे।
एक नोट पर ` ३.५४ खर्च
वित्त मंत्री ने बताया कि २००० रुपए के नोट के १००० पीस छापने में ३,५४० रुपए की लागत आई है। इस तरह एक नोट पर सरकार को ३.५४ रुपए खर्च करने पड़े थे। इस तरह ३७०.२ करोड़ नोटों की छपाई पर १३१०.५० करोड़ रुपए खर्च हुए थे। वित्त मंत्री ने बताया कि १९ मई २०२३ को जब २००० रुपए के नोटों को वापस लेने का एलान किया गया, तब ३.५६ लाख करोड़ रुपए के बैंक नोट्स सर्वुâलेशन में मौजूद थे, जिसमें से ३० जून, २०२४ तक ३.४८ लाख करोड़ रुपए के नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ चुके हैं।

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