धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
प्रदेश के मेंटल अस्पतालों में बड़ी संख्या में भर्ती मरीज मानसिक रोगों को मात दे चुके हैं। इसके बावजूद उनके परिवार और रिश्तेदारों के साथ ही समाज स्वीकार नहीं कर रहा है। ऐसे में दिव्यांग कल्याण विभाग ने इन्हें भी समाज में समान अधिकार दिलाने का पैâसला किया है। इसके तहत प्रदेश में १६ स्थानों पर रिहैबिलिटेशन होम शुरू करने का फैसला किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में मानसिक रोगियों का इलाज किया जाता है। ऐसी मानसिक बीमारी से उबरने वाले मरीजों को अक्सर उनके परिवार, रिश्तेदार और समाज स्वीकार नहीं करते हैं। कुछ मरीजों में वर्षों तक अस्पताल में रहने के बाद समाज के बीच अथवा अपने परिवार के साथ घर पर रहने की इच्छा नहीं होती है। कुछ के साथ उचित व्यवहार नहीं होता, इसलिए साल २०१७ में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को बेघरों और मानसिक बीमारी से उबरने वाले लोगों के लिए रिहैबिलिटेशन होम स्थापित करने का आदेश दिया, ताकि उनके स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जा सके। दिव्यांग कल्याण विभाग के उपसचिव वीपी घोडके के मुताबिक, विभाग संस्थाओं के माध्यम से करीब १६ स्थानों पर पुनर्वास गृह बनाए जाएंगे। इसके तहत ठाणे, पुणे और नागपुर में इन रिहैबिलिटेशन होम के निर्माण का कार्य प्रगति पर है, जिसे जल्द शुरू किए जाने की उम्मीद है।
मानसिक अस्पतालों से नजदीक बनेंगे ये होम
मानसिक बीमारी से उबरने वाले व्यक्तियों के लिए राज्य में मानसिक अस्पतालों के पास १६ नए रिहैबिलिटेशन होम बनाने की तैयारी की गई है। इस प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई है। दिव्यांग कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक बजट में ५.७६ करोड़ की निधि का प्रावधान भी किया गया है। मुंबई, नागपुर, पुणे और रत्नागिरी में रिहैबिलिटेशन होम पहले से ही चालू हैं। इसकी वजह से मानसिक बीमारी से मुक्त हुए लोगों को एक बार फिर से समाज में सम्मान के साथ जीने का मौका मिलेगा।