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आरक्षण विरोधी आग में जल गया पड़ोसी देश : सेफ हाउस में शेख हसीना! … भागती नहीं तो फांसी पर लटका दी जातीं!

-मोदी सरकार पसोपेश में
-आवामी लीग के हटते ही भारत पर बढ़ा आतंकी खतरा
-राजनीति में दोबारा नहीं लौटेंगी बांग्लादेश की पीएम
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को कल आनन-फानन में देश छोड़कर भागना पड़ा। कल शाम उनका विमान हिंडन एयरबेस पर उतरा, जहां से उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच सेफ हाउस में ले जाया गया। बताया जा रहा है कि शेख हसीना लंदन जा सकती हैं। हालांकि, ऐसी खबरें भी हैं कि ब्रिटेन ने उन्हें राजनीतिक शरण देने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। शेख हसीना भारत में ही रहेंगी या किसी अन्य देश में शरण लेंगी, फिलहाल खबर लिखे जाने वक्त तक इस बारे में स्थिति साफ नहीं हुई है। जानकारों का मानना है कि अगर शेख हसीना बांग्लादेश से नहीं भागतीं तो उन्हें वहां फांसी पर लटका दिया जाता।
बता दें कि पिछले दो दिनों में बांग्लादेश की राजनीति में घटनाक्रम काफी तेजी से बदले हैं। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर जो फैसला दिया, उसके बाद विरोधी सड़कों पर उतर पड़े और आरक्षण विरोधी आग में पड़ोसी देश जल उठा। इधर, शेख हसीना के अचानक भारत आ जाने से मोदी सरकार भी पसोपेश में है कि क्या करें।

चीन और पाकिस्तान ने डाला
बांग्लादेश की
विद्रोही आग में तेल!

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट करने में चीन और पाकिस्तान का हाथ है। शेख हसीना की आवामी लीग पार्टी भारत समर्थक है और पाकिस्तान वहां भारत विरोधी बीएनपी को सत्ता में लाना चाहता था। इसके लिए पैसा चीन से आ रहा था। शेख हसीना की सरकार को गिराने की पूरी पटकथा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने लिखी है। जानकारों का मानना है कि आरक्षण के खिलाफ विद्रोह भड़काने के लिए चीन और पाकिस्तान न इसमें पूरा तेल डाला है।
विदेशी मामलों के जानकारों के मुताबिक, पाकिस्तान ने सिर्फ आंदोलन करने वाले संगठनों को भड़काने का काम किया, बल्कि कोविड के दौरान पाकिस्तान में बांग्लादेश की धरती से अपने पड़ोसी मुल्कों को निशाने पर लेने के लिए ऐसी पटकथा लिखी। चीन, बांग्लादेश में कई परियोजनाएं हथियाना चाहता है पर शेख हसीना के रहते यह संभव नहीं हुआ और वे भारत के पास चली आर्इं। इससे चीन चिढ़ा हुआ था। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और पाकिस्तान ने ही मिलकर बांग्लादेश से भारत के खिलाफ मालदीव की तर्ज पर ‘इंडिया आउट’ अभियान का पूरा टास्क स्थानीय राजनीतिक पार्टियों और संगठनों को दिया था। रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में इस वक्त जो हालात बने हैं, उसमें मुख्य कारण तो आरक्षण का अंदरूनी मामला ही है, लेकिन जिस तरीके से हालात बदहाल होते रहे उसमें पाकिस्तान का पूरा हाथ है। विदेशी मामलों के जानकारों के मुताबिक, पाकिस्तान ने न सिर्फ आंदोलन करने वाले संगठनों को भड़काने का काम किया। बल्कि कोविड के दौरान पाकिस्तान में बांग्लादेश की धरती से अपने पड़ोसी मुल्कों को निशाने पर लेने के लिए ऐसी पटकथा लिखी, जिससे बांग्लादेश की धरती पर धीरे-धीरे सोमवार को हुए विद्रोह की पूरी जमीन तैयार होने लगी। रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञ रिटायर्ड कर्नल गुरविंदर सिंह संधू कहते हैं कि पाकिस्तान लगातार बांग्लादेश के अंदरूनी मामलों में शुरुआत से दखल देता आया था। उनका कहना है कि चर्चा तो बांग्लादेश के भीतर इस बात की भी हो रही है कि आईएसआई ने बांग्लादेश में यहां के प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी को खुलकर समर्थन दिया है क्योंकि इसी संगठन से ताल्लुक रखने वाले संगठन और उनकी अन्य शाखाओं ने आरक्षण के मामले में बांग्लादेश के भीतर जमकर बवाल किया है।

आंदोलन की आड़ में बांग्लादेश में
हिंदू मंदिरों पर हमला!
कई पूजास्थल ध्वस्त, पुजारियों की हत्या

बांग्लादेश में आरक्षण कोटे को लेकर भड़की हिंसा ने वहां रहनेवाले हिंदुओं को भी अपनी चपेट में ले लिया है। हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं, उन्हें मारा जा रहा है। यही नहीं, हिंदुओं के मंदिरों पर भी हमले शुरू हो गए हैं और उन्हें ध्वस्त किया जा रहा है। हिंसक प्रदर्शन इतना तीव्र हो गया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को कल अपनी जान बचाकर देश से भागना पड़ा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में इस्कॉन और काली मंदिरों समेत कई हिंदुओं के घरों को निशाना बनाया गया। हंगामे को देखते हुए भक्तों को शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस हिंसा में कई हिंदुओं की भी मौत होने की खबर है। हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी की है और लोगों को यात्रा से बचने को कहा है। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद सेना ने फिलहाल सत्ता का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है और जल्द ही अंतरिम सरकार के गठन की बात कही है।
इसलिए जल रहा बांग्लादेश
पिछले दिनों बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर काफी बवाल हुआ था, जिसे वहां के सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया था। अब प्रदर्शनकारी सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर हुए बवाल को लेकर ही सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। वहां के ‘प्रोथोम अलो’ अखबार के मुताबिक, असहयोग आंदोलन को लेकर देशभर में हुई झड़पों, गोलीबारी और जवाबी हमलों में ३०० से ज्यादा लोग मारे गए हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि विरोध के नाम पर बांग्लादेश में तोड़फोड़ की जा रही है। ऐसा करने वाले लोग छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी हैं। उन्होंने जनता से ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने को कहा।

बांग्लादेश में आईएसआई ने
बना रखे हैं स्लीपर सेल

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना कल वहां से भाग निकलीं। कल शाम उनका विमान हिंडन एयरबेस पर उतरा। अब चर्चा हो रही है कि क्या वे भारत में ही रहेंगी? अगर उन्हें यहां रखा जाता है तो बांग्लादेश की आगामी हुकूमत से रिश्ते बिगड़ सकते हैं। बांग्लादेश में हुए विद्रोह का असर भारत में भी पड़ना तय है। आवामी लीग के सत्ता से हटते ही भारत पर आतंकी खतरा बढ़ गया है। इसका कारण है कि पाकिस्तानी आईएसआई ने वहां बड़ी संख्या में आतंकियों के स्लीपर सेल बना रखे हैं, जो समय-समय पर भारत में घुसपैठ करते रहते हैं।
बांग्लादेश में इस समय ६ हजार भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। उन्हें सकुशल निकालकर लाना भारत सरकार की प्राथमिकता है। शेख हसीना के परिवार से भारत के रिश्ते अच्छे रहे हैं। बांग्लादेश की स्वतंत्रता आंदोलन में उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान की भारत की ‘रॉ’ ने काफी मदद की थी। तब से ही शेख परिवार से भारत के अच्छे रिश्ते रहे हैं। हालांकि, बांग्लादेश बनने के ४ साल बाद ही वहां तख्तापलट हुआ और राष्ट्रपति शेख मुजीब, उनकी पत्नी सहित ३ बेटों की हत्या कर दी गई थी। शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना तब जर्मनी में थीं इसलिए बच गई थीं। बांग्लादेश में हुए ताजा विद्रोह के बाद शेख हसीना के बेटे सजीब वाजिद रॉय ने कहा है कि अब उनकी मां शेख हसीना फिर से बांग्लादेश की राजनीति में वापस नहीं लौटेंगी।

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