सामना संवाददाता / नई दिल्ली
एक करोड़ से ज्यादा केंद्र सरकार के कर्मियों और पेंशनभोगियों को केंद्र सरकार ने तगड़ा झटका दे दिया है। इन कर्मचारियों के लिए मोदी गारंटी अब यहीं खत्म कर दी गई है। कोरोना काल महामारी के समय सरकारी कर्मचारियों का १८ महीने का डीए (रोजाना भत्ता) रोका गया था, अब उसका एरियर मिलने की उम्मीद आखिरकार खत्म हो गई है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्यसभा में साफ कर दिया है कि जो १८ महीने का डीए अथवा डीआर रोका गया था, उसका एरियर कर्मचारियों को नहीं मिलेगा।
राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान और रामजी लाल शर्मा ने जब सवाल पूछा कि क्या सरकार कर्मचारियों को कोरोना काल के समय रोके गए डीए/डीआर के एरियर का भुगतान करने के लिए काम कर रही है या नहीं। दोनों सांसदों की तरफ से सवाल किया गया कि अगर सरकार यह भुगतान जारी नहीं कर रही है, तो उसका कारण बताए, तब केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री की ओर से यह जवाब दिया गया।
बता दें कि कर्मचारियों के संयुक्त राष्ट्रीय परिषद के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने डीओपीटी के सचिव से आग्रह किया था। इस १८ माह के ‘डीए’ का एरियर को देने के लिए पत्र भी लिखा था। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी को भी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए संयुक्त सलाहकार तंत्र, राष्ट्रीय परिषद के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने केंद्र सरकार के कर्मियों व पेंशनरों को कोरोना काल के दौरान रोके गए डीए अथवा डीआर का एरियर जारी करने का प्रस्ताव वाला एक पत्र हाल ही में लिखा था। लेकिन कर्मचारियों के साथ अन्याय करने वाली मोदी सरकार के मंत्री ने मंसूबे साफ कर दिए हैं।
अखिलेश ने केंद्र सरकार को घेरा
सपा प्रमुख अखिलेश ने बुधवार को `एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, `सरकार के ‘वैश्विक आर्थिक महाशक्ति’ बनने के दावे का मतलब क्या ये है कि कर्मचारियों को उनके अधिकार का पैसा भी नहीं मिले। केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों को १८ महीने के डीए का एरियर देने से मना करना एक तरह से ‘सरकारी गांरटी’ से इंकार करना है।’ अखिलेश ने आगे लिखा, `सरकार बताए लगातार बढ़ते ‘जीएसटी कलेक्शन, कई ‘ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी’ का पैसा कहां जा रहा है? अरबों के जहाज और टपकते भवनों के लिए तो पैसा है, लेकिन सही मायने में सरकार को चलानेवाले कर्मचारियों के लिए नहीं।’