मुख्यपृष्ठस्तंभक्षेत्र का विकास है प्रथम लक्ष्य - सांसद आर. के. चौधरी

क्षेत्र का विकास है प्रथम लक्ष्य – सांसद आर. के. चौधरी

आर. के. चौधरी वर्तमान में संसदीय क्षेत्र मोहनलालगंज से सांसद हैं। वे समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं। उन्होने अपनी राजनीति की शुरुआत कांशीराम के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी से की थी। चौधरी दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सदन के नेता, ४ बार विधायक, ४ बार कैबिनेट मंत्री रहे। २०२४ में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता। चौधरी समाज में आंबेडकरवादी और समाजवादी विचारों के लिए जाने जाते हैं। चौधरी से स्थानीय मुद्दों पर रोहित माहेश्वरी ने बात बातचीत की। प्रस्तुत हैं उस बातचीत के प्रमुख अंश…

 आपकी जीत में कौन से मुद्दे और रणनीतियां निर्णायक साबित हुईं?
मेरी जीत का मुख्य कारण क्षेत्र की जनता का विश्वास और समर्थन रहा है। पूर्व में भी मोहनलालगंज विधानसभा से कई बार जीतकर जनता का विश्वास और भरपूर समर्थन पाया है। जब मैं पहली बार मोहनलालगंज से चुनाव लड़ने गया था, तब जनता ने नारा दिया था, ‘बिजली पानी सड़क अधूरी, आर. के. चौधरी करेंगे पूरी’ और वह वादा मैने पूरा भी किया, जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना ही मेरी जीत का प्रमुख कारण रहा है।

विकास के लिए आपका क्या रोडमैप है?
अपने क्षेत्र के अलावा हमें देश के विकास के लिए भी काम करना होगा। मोहनलालगंज के विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ करना है। इसमें सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और जलापूर्ति जैसे क्षेत्रों के लिए सुधार लाना है। मोहनलालगंज ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहा है। इसके लिए सड़कों का चौड़ीrकरण, फ्लाईओवर के निर्माण कराए जाएंगे। समाज के कमजोर वर्ग को मजबूत करना, उनको सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना मेरा प्रथम प्रयास होगा। मेरा प्रयास यह भी रहेगा कि समाज का दबे-कुचले और पिछड़े वर्ग को वैâसे आगे लाया जाए।

समाजवादी व आंबेडकरवादी विचारधारा के बीच समन्वय कैसे स्थापित करेंगे?
समाजवादी व आंबेडकरवादी विचारधाराएं दोनों ही समानता, न्याय व सामाजिक सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। बाबा भीमराव आंबेडकर की विचारधारा को मजबूत करना होगा। समाजवादी पार्टी का पीडीए का नारा इसी आधार पर आगे बढ़ रहा है। जो काम बाबासाहब आंबेडकर करते थे, उसे अखिलेश यादव पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, इस नारे के साथ- ‘बाबा तेरा मिशन अधूरा, हम सब मिलकर करेंगे पूरा’!

आपकी नजर में भ्रष्टाचार कितना बड़ा मुद्दा है?
भ्रष्टाचार बहुत बड़ा मुद्दा है। इलेक्टोरल बॉन्ड जैसा मामला क्या आपकी नजर में भ्रष्टाचार नहीं है? किसानों का २ लाख करोड़ रुपए का कर्जा माफ नहीं किया गया है, बल्कि उद्योगपतियों का १६ लाख करोड़ रुपए का कर्जा माफ कर दिया गया है, क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है? पेपर लीक भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। देश में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हो रहा है, जो दिखाई भी दे रहा है।

सपा की पीडीए नीति के तहत पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों का विकास कैसे होगा?
उच्च वर्ग आगे बढ़ रहा है और आगे बढ़े। मैं अग्रज समाज का विरोधी नही हूं, लेकिन जो पिछडा, दलित, अल्पसंख्यक, कमजोर वर्ग है वो भी आगे बढे। उनकी संख्या बहुत ज्यादा है, अखिलेख जी ने इसीलिए पीडीए बनाया है। भाजपा नारा लगाती है, `सबका साथ सबका विकास’ लेकिन हकीकत कुछ और है। भाजपा पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक का आरक्षण खत्म करना चाहती है। भाजपा संविधान को नहीं मानती, उसका संविधान मनुस्मृति है। समाजवादी पार्टी संविधान को मानती है और संविधान की रक्षा करना जानती है।

 रोजगार को बढ़ावा देने के लिए क्या करेंगे?
मेरे सांसद बनने के बाद पूरे मोहनलालगंज वासियों की अपेक्षांए मुझसे बढ़ी हैं। मैं सांसद से पहले इसी क्षेत्र से कई बार विधायक रहा हूं। मैं क्षेत्रीय समस्याओं से पूरी तरह वाकिफ हूं। विधायक रहते क्षेत्रीय रोजगार बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। मेरे संसदीय क्षेत्रवासियों को अधिक से अधिक रोजगार मिले, इसके लिए कई सरकारी कारखानों को मोहनलालगंज में स्थापित करने के लिए सरकार से मांग करूंगा।

संसद में सेंगोल का विरोध क्यों किया?
जब देश स्वतंत्र नहीं हुआ था, देश में राजा-महराजा राज किया करते थे। उनका काम करने का तौर-तरीका अलग था और उनको उस समय के पुरोहितों ने सलाह दिया था कि आप अपने पास राजदंड रखिए। राजदंड यानी राजा की छड़ी, यही सेंगोल जो तमिल शब्द है। राजा सुनवाई करता था और पैâसला करता था और यह पैâसला इस तरह का होता था कि `न खाता न बही, जो राजा साहब कहें वही सही’। लेकिन अब देश में संविधान है, अदालतें हैं, कानून के हिसाब से सुनवाई होती है। अब सेंगोल की जरूरत नहीं है। सेंगोल प्रतीक है राजतंत्र का, संविधान प्रतीक है लोकतंत्र का, संसद चलती है संविधान से, संसद लोकतंत्र का मंदिर है, वहां राजदंड नहीं होना चाहिए। हमारी कोशिश है कि पूरे देश में महौल बने संसद से सेंगोल हटाया जाए और उसकी जगह बाबासाहब आंबेडकर के संविधान की बड़ी प्रतिलिपि रखी जाए।

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