प्रेम यादव / मीरा-भायंदर
मीरा-भायंदर मनपा का प्रशासनिक ढांचा एक भ्रष्ट अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद पूरी तरह से चरमरा गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिरप्पा टिपन्ना दूधभाते को 2 अगस्त को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए जाने के बाद से मनपा का जन्म-मृत्यु केंद्र पूरी तरह से ठप हो गया है। यह स्थिति नागरिकों के लिए गंभीर परेशानी का सबब बन गई है।
शहर में हर साल औसतन 10,000 से अधिक बच्चों का जन्म होता है और लगभग 3,500 लोगों की मृत्यु होती है। इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए मनपा ने प्रभाग स्तर पर जन्म-मृत्यु पंजीकरण केंद्र स्थापित किए थे, ताकि नागरिकों को प्रमाणपत्र जल्द और नजदीक से मिल सके। लेकिन अगर किसी प्रमाणपत्र में सुधार या बदलाव करना हो तो इसके लिए मुख्यालय स्थित केंद्र पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
पिछले एक सप्ताह से इस केंद्र का कामकाज पूरी तरह से बंद पड़ा है, क्योंकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अनुपस्थिति में कोई अन्य अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया है। प्रशासन की इस लापरवाही से न केवल नागरिकों की जरूरतों की अनदेखी हुई है, बल्कि यह मनपा की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। ऐसे में जिन परिवारों को जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र में किसी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता है, वे पिछले कई दिनों से महापालिका के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन हर बार उन्हें यही बताया जा रहा है कि जब तक नए अधिकारी की नियुक्ति नहीं होती, तब तक काम नहीं हो सकता। इस स्थिति ने लोगों की समस्याओं को और भी बढ़ा दिया है। क्योंकि किसी भी प्रकार के प्रमाणपत्र की आवश्यकता अक्सर तत्काल होती है। खासकर मृत्यु प्रमाणपत्र की, जो कानूनी और वित्तीय प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है।
महापालिका का यह रवैया साफ तौर पर दर्शाता है कि वह जनता की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में पूरी तरह असफल हो रही है। एक अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद पूरी व्यवस्था का ठप हो जाना न केवल प्रशासनिक खामियों का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि महापालिका में अधिकारियों की नियुक्ति और कामकाज की योजना कितनी कमजोर है। सामाजिक कार्यकर्ता बाबूराव शिंदे कहते हैं कि मनपा को चाहिए कि वह जल्द से जल्द वैकल्पिक व्यवस्था करे और नागरिकों को हो रही इस परेशानी का समाधान निकाले। जनता के विश्वास को कायम रखना मनपा की प्राथमिकता होनी चाहिए।