मुख्यपृष्ठधर्म विशेषजीवन दर्पण : सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं... सुखमय होगा वैवाहिक जीवन

जीवन दर्पण : सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं… सुखमय होगा वैवाहिक जीवन

काशी के सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद
डॉ. बालकृष्ण मिश्र

गुरुजी, मेरे विवाह में विलंब क्यों हो रहा है? – चेतन तिवारी
(जन्म- ९ दिसंबर १९९२, समय- रात्रि १२.३०, स्थान- पुणे, महाराष्ट्र)
चेतन जी, आपका जन्म बुधवार के दिन कृतिका नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपकी राशि वृषभ बन रही है। सिंह लग्न में आपका जन्म हुआ है। आपकी कुंडली में १२वें भाव पर बैठ करके मंगल ने आपकी कुंडली को मांगलिक बनाया हुआ है और चौथे स्थान पर सूर्य बैठा हुआ है, इस कारण आपको अनुकूल रिश्ते नहीं मिल पा रहे हैं। आपका विवाह २८ से ३० वर्ष तक हो जाना चाहिए था, लेकिन आप प्रयास करेंगे तो २०२४-२५ में निश्चित आपका विवाह हो जाएगा। इसके लिए २७ गुरुवार चने की दाल, केला और दक्षिणा किसी मंदिर में बैठे हुए पुजारी को देने के साथ ही पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें। निश्चित ही विवाह हो जाएगा।
गुरुजी, मेरा वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं है, उपाय बताएं? – पुष्पलता
(जन्म- १९ मई १९९१, समय-५.१५, स्थान- बोरीवली, मुंबई)
पुष्पलता जी, आपका जन्म पुष्य नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि कर्क बन रही है। आपके मैरिज को अगर हम देखें तो वृषभ लग्न में आपका जन्म हुआ है और आपकी राशि पर शनि की ढैया का भी प्रभाव चल रहा है। वृषभ लग्न में ही सूर्य बैठा हुआ है इसलिए कभी-कभी जीवनसाथी से वैचारिक मतभेद बन जाते हैं। इस कारण आपका वैवाहिक जीवन कष्टमय हो जाता है। शनि की ढैया के लिए आपको पहले सूर्य का उपाय करना चाहिए। सूर्य का उपाय करने से आपको वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति हो सकती है। प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देने के साथ विष्णु सहस्रनाम का पाठ सुनें। जीवन को विस्तारपूर्वक जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, कोई उपाय बताएं? – आर्यन गुप्ता
(जन्म- ११ सितंबर २०१२, समय- दिन ३.३७, स्थान- साकीनाका, मुंबई)
आर्यन जी, आपका जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मिथुन बन रही है। बता दें कि आपका जन्म धनु लग्न में हुआ है। धनु लग्न का स्वामी बृहस्पति आपकी कुंडली में छठे भाव पर बैठा है और लग्न भाव का स्वामी यदि छठे भाव पर बैठता है तो निश्चित ही स्वास्थ्य में किसी न किसी प्रकार की दिक्कत रहती है। आप दुबले-पतले होंगे। आपके स्वास्थ्य को देखें तो शनि की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है। आपको देवगुरु बृहस्पति का उपाय करना चाहिए। यदि देवगुरु बृहस्पति का उपाय आप करें तो धीरे-धीरे आपको बहुत अच्छा लाभ मिलने लगेगा। जीवन को विस्तारपूर्वक जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरा व्यापार नहीं चल रहा है, उपाय बताएं? – योगेश पांडेय
(जन्म- २४ जून १९६६, समय- रात्रि ८ बजे, स्थान- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)
योगेश जी, आपका जन्म शुक्रवार के दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है और आपकी राशि सिंह बन रही है। सिंह राशि के लोग बड़े पुरुषार्थी और बड़े मेधावी होते हैं, लेकिन आपको व्यापार में बेनिफिट क्यों नहीं हो पा रहा है क्योंकि शनि की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है। व्यापार से आपको पूरी तरह से लाभ पाने के लिए आपको शनि का उपाय करना चाहिए। इसके लिए आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
गुरुजी, क्या मैं अपने पिता के साथ व्यापार करें तो मुझे लाभ मिलेगा?
– आकाश पांडेय
(जन्म- ४ दिसंबर १९९७, समय- रात्रि २१.३०, स्थान- कानपुर, उत्तर प्रदेश)
आकाश जी, आपका जन्म गुरुवार के दिन श्रवण नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ है और आपकी राशि मकर बन रही है। यदि आपके करियर को हम देखें कि क्या आप अपने पिता के साथ व्यापार में जुड़ सकते हैं तो लग्न के आधार पर अगर हम देखें कर्क लग्न में आपका जन्म हुआ है। कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा है और चंद्रमा आपकी कुंडली में सप्तम भाव पर देवगुरु बृहस्पति के साथ बैठ करके गजकेसरी योग बना रहा है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि मैरिज के बाद आपको व्यापार का अच्छा लाभ मिलना प्रारंभ हो जाएगा। पिता के साथ व्यापार में जुड़ने से आपको बहुत अच्छा लाभ मिलेगा क्योंकि पिता स्थान का स्वामी मंगल आपकी कुंडली में छठे भाव पर बैठ करके अपनी पूर्ण चौथी दृष्टि से भाग्य भाव को देख रहा है इसलिए पिता से जुड़ना आपके भाग्योदय का कारक बनेगा। जीवन को विस्तार से जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
गुरुजी, मेरी लव मैरिज शादी होगी या अरेंज मैरिज?
– सुमित कांबले
(जन्म- ११ जनवरी २००३, समय- ११.१० दिन में, स्थान- नागपुर, महाराष्ट्र)
सुमित जी, आपका जन्म मीन लग्न में हुआ है और आपकी राशि मेष बन रही है। लग्न भाव का स्वामी बृहस्पति आपकी कुंडली में उच्च राशि का हो करके पंचम भाव पर बैठा है और वही बृहस्पति दशम भाव का भी स्वामी है, जहां से पिता का विचार किया जाता है। चंद्रमा आपकी कुंडली में द्वितीय भाव पर बैठ करके अपनी पूर्ण सप्तम दृष्टि से अष्टम भाव को देख रहा है इसलिए आपकी मानसिकता बनेगी कि मैं लव मैरिज विवाह करूं, लेकिन माता-पिता की सहमति के बगैर आपको विवाह नहीं करना चाहिए।

अन्य समाचार