सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में म्हाडा (महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) द्वारा बनाए गए संक्रमण शिविर अनियमितताओं और घुसपैठ का केंद्र बन गए हैं। वर्षों से चले आ रहे इन गैरकानूनी कामों पर म्हाडा की उदासीनता ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। अब म्हाडा ने अपनी नाकामी को ढकने के लिए सघन जांच का निर्णय लिया है, लेकिन इस पहल की सफलता पर सवाल उठ रहे हैं।
घुसपैठियों को निकालना एक बड़ी चुनौती
मुंबई में म्हाडा के ३४ संक्रमण शिविरों में करीब २०,००० घर हैं, जो अवैध घुसपैठियों के कब्जे में आ गए हैं। म्हाडा के लिए इन घुसपैठियों को निकालना एक बड़ी चुनौती बन गया है, जिसमें कानूनी और सुरक्षा के गंभीर मसले भी जुड़ गए हैं। पुनर्विकास के दौरान अस्थायी आवास के लिए बनाए गए ये शिविर अब अवैध गतिविधियों का गढ़ बन चुके हैं। मूल रहवासियों से नाममात्र का किराया ५०० रुपए वसूला जाता है, जबकि घुसपैठियों से ३,००० रुपए का किराया मांगा जाता है। बावजूद इसके कई विकासक और घुसपैठिए वर्षों से किराया नहीं चुका रहे हैं, जिससे म्हाडा को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
अनदेखी के कारण स्थिति हुई जटिल
मुंबई इमारत और दुरुस्ती व पुनर्रचना मंडल के सहमुख्य अधिकारी उमेश वाघ ने कहा कि हमने रेंट कलेक्टर को ट्रांजिट कैंप की सघन जांच के निर्देश दिए हैं। लेकिन अब तक की अनदेखी के कारण स्थिति काफी जटिल हो चुकी है। हर हफ्ते की बैठक में इन शिविरों की मौजूदा स्थिति का आकलन कर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन इतने वर्षों की अनियमितताओं को सुधारना म्हाडा के लिए आसान नहीं होगा। बता दें कि संक्रमण शिविरों में व्याप्त अवैध गतिविधियों और अनियमितताओं को खत्म करना म्हाडा के लिए अब एक कठिन चुनौती साबित हो सकता है।