सामना संवाददाता / मुंबई
रोजाना सुबह ७ बजे से ११ बजे और शाम ५ से १० बजे के बीच लोकल से सफर करना खतरनाक हो गया है। लोकल से यात्रा करते समय कई यात्रियों की मौत हो गई और कुछ स्थायी रूप से विकलांग हो गए। हालांकि, यात्रियों का आरोप है कि रेल प्रशासन इस ओर से आंखें मूंदे हुए है। वर्षों से रुके प्रोजेक्ट, लोकल के साथ खिलवाड़, लोकल की जगह लंबी दूरी की ट्रेनों को तरजीह देने को लेकर रेलवे यात्री संघ की ओर से विरोध किया जाएगा। २२ अगस्त को यात्री काला फीता बांधकर रेलवे प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।
दो रेलवे स्टेशनों के बीच लोकल को लंबे समय तक विलंबित किया जाता है, लोकल सेवाएं २० से ४० मिनट की देरी से चलती हैं, लोकल को अचानक रद्द कर दिया जाता है और लंबी दूरी की ट्रेनों की बजाय लोकल स्टॉप को प्राथमिकता दी जाती है। चूंकि इस तरह की बात हर दिन होती है, ट्रेनों का शेड्यूल बाधित होने से यात्रियों को कार्यालय पहुंचने में देरी हो रही है। साथ ही यात्रा के दौरान भारी भीड़ का भी सामना करना पड़ता है। कल्याण-आसनगांव चौथा मार्ग, कल्याण-बदलापुर तीसरा और चौथा मार्ग, हार्बर मार्ग का विस्तार, सीएसएमटी-कुर्ला पांचवां और छठा मार्ग, विरार-दहाणू चतुर्भुज, कलवा-एरोली एलिवेटेड मार्ग जैसी कई परियोजनाएं कई वर्षों से लंबित हैं। रुकी हुई परियोजना नई स्थानीय सेवाओं की शुरुआत और स्थानीय समय की पाबंदी को बढ़ाने में भी बाधा डालती है।