मुख्यपृष्ठस्तंभमैथिली व्यंग्य : आजादी के माने...!

मैथिली व्यंग्य : आजादी के माने…!

डॉ. ममता शशि झा
मुंबई

रूपा अपन बेटा जश के स्कूल में पंद्रह अगस्त के दिन होब बला कार्यक्रम के तैयारी में लागल छलि। मोन त कनिको अहि आजादी के उत्सव के मानाब में लागि रहल छलनि, एक तरफ भगवान कहाब बला डॉक्टर ले कुकृत्य क, क हत्या के समाचार सॅ मोन एकदम दघदल छलनि आ दोसर तरफ झंडोतोलन के उत्सव, मोन में अजीब तरह के क्रोध के लहर उठी रहल छल कि जश के बात स ध्यान टुटल, `मॉम हमरा भाषण लिख में सहायता करू, विषय अछि आजादी के माने…!’
मोने-मोन सोच लगलहुं सोना के चिड़िया कहाब बला देश में कटोरी ल क भीख मंगइत लोक सब!! आ ओहु सॅ दुखद, अफीम खुआ क भीख मांग लेल उपयोग होईत बच्चा सब, अनजान में नशा के परतंत्रता में जकड़इत, आजादी के असली माने एकरा नशा स मुक्त करेनाइ, आजादी के असल माने हर बच्चा के हाथ में कॉपी-किताब। चॉकलेट खाय के उम्र में चॉकलेट फैक्ट्री में काज कर बच्चा सब पर ध्यान चलि गेल आ ध्यान चलि गेल फटक्का के फैक्ट्री में काज कर बला बच्चा सब पर जे जवानी देखबे नहि करइ छइ, फेफरा खराब होअ के कारण, आजादी के असली माने अहि बच्चा सब के शुद्ध हवा के प्राप्ति। सिग्नल पर झंडा बेच बला बच्चा सब के लेल स्वतंत्रता दिवस माने झंडा बेचनाइ नहिं, झंडा फहरेनाइ हेबाक चाही। गलत बात के विरोध पर जहन लोक के बाज के मौका भेटतइ। कानून बनाब बला सब कानून के हिफाजत करत, जे कानून जाकर लेल बनल अछी ओ ओहि के बेझिझक उपयोग क सकत से आजादी के असली माने भेलइ। मुदा इ सब त हम खाली मोने-मोन सोची सकइ छी, जश के लिख क मंच पर स बाज लेल नहिं कही सकई छी, ताहि ल क हम आजादी के माने अहि विषय पर प्रशंसा के शब्द, चाटुकारिता के चाशनी में मिला क लिख लगलहुं, सबहक बडाई करइत। आ असल बात इहो अछि‌ जे जॅ बच्चा आजादी के असली रूप देखि लेत, त स्वतंत्रता दिवस के अहि उत्सव सॅ अपना आप के दूर क लेत।
झंडा दिस देखि क रूपा मोने-मोन सोच लगली स्वतंत्रता दिवस पर पछिला इतिहास के पात्र आ स्वतंत्रता के लड़ाई में जान देब बला जांबाज सब आजादी के माने के आजूका दृश्य देखि क झंडोतोलन के नोरायल आंखी सॅ देखइत एक दोसर स, पूछथि हेता आजादी के माने…!!!

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