मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनाशब्द हमारे पूछ रहे हैं।

शब्द हमारे पूछ रहे हैं।

शब्द हमारे पूछ रहे हैं।
कर्म हमारे कहाँ गए।।

सत्यनिष्ठ सत्कर्म हमारे।
इस दुनिया से कहाँ गए ।।

हरिश्चंद्र को ढूँढ़ रहा हूँ।
आज युधिष्ठिर कहाँ गए।।

कहाँ गए बलिदानी अपने।
वीर भगत सिंह कहाँ गए।।

सत्य अहिंसा कहने वाले।
जितने थे सब कहाँ गए।।

भारत की पावन धरती से।
सत्यनिष्ठ सब कहाँ गए।।

सच को सच कहनेवाले भी।
ढूँढ़ रहा हूँ कहाँ गए।।

झूठ हटाने वाले जो थे ।
भारत से अब कहाँ गए।।

सत्यमार्ग दिखनाने वाले।
धर्म ग्रंथ सब कहाँ गए ।

कहाँ गई गुरुओं की वाणी।
तुलसी नानक कहाँ गए।।

कहाँ गए आदर्श हमारे।
राम कृष्ण सब कहाँ गए।।

ईश्वर अल्ला कहने वाले।
सत्चरित्र सब कहाँ गए।।

परोपकार को पढ़ने वाले।
इतनी जल्दी कहाँ गए।।

कहाँ गए मानवतावादी ।
त्यागमूर्ति सब कहाँ गए।।

हे भगवान तुम्हीं बतलाओ।
अपने सारे कहाँ गए ।।

शब्द हमारे पूछ रहे हैं।
कर्म हमारे कहाँ गए।।

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