संजय राऊत
जिन्होंने भारतीय तिरंगे से द्वेष किया और आजादी के बाद भी ५६ वर्ष तिरंगा नहीं फहराएंगे, ऐसी विचारधारा के वंशज सत्ता में हैं और सत्ता है इसीलिए वे लाल किले पर तिरंगा फहरा रहे हैं। लाल किले पर तिरंगा फहराने के दौरान कश्मीर में हमारे जवानों ने बलिदान दिया। तिरंगा इसीलिए सुरक्षित है।
जिन लोगों का देश की आजादी की लड़ाई में रत्तीभर भी योगदान नहीं था, वे लोग पिछले दस वर्षों से लाल किले पर तिरंगा फहरा रहे हैं और देश को आजादी का महत्व बता रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के संरक्षक, द्वितीय सरसंघचालक गोलवलकर गुरुजी ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उन्हें ‘तिरंगा’ ध्वज स्वीकार नहीं है। श्री गोलवलकर का तर्क था, ‘तिरंगा राष्ट्र के लिए अशुभ होगा। क्योंकि तीन संख्या हिंदू धर्म के लिए अशुभ होती है।’ उस पर सरदार पटेल ने सरसंघचालक की क्लास ले ली थी। सरदार ने कहा, ‘ऐसे आदमी के बारे में हम क्या बात करें? जो हिंदू धर्म को ही समझ नहीं पाया। जिन्हें ये नहीं पता कि हिंदू धर्म के मुख्य देवता ही ‘तीन’ हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश। उन्हें तीन संख्या अशुभ लगती है, यह हिंदू धर्म के बारे में उनकी अज्ञानता है।’ हिंदू धर्म के ऐसे राजनीतिक ठेकेदारों ने अयोध्या के प्रभु श्रीराम से भी मुंह मोड़ लिया है। इसलिए अयोध्या में चोरों और अंधकार का साम्राज्य पैâल गया है। लोकसभा चुनाव में फायदा पाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जल्दबाजी में अयोध्या में मंदिर उद्घाटन का राजनीतिक उत्सव मनाया, लेकिन राम ने उनकी नहीं सुनी। मोदी के समय में अयोध्या का नया राम मंदिर टपक रहा है और श्रीराम के गर्भगृह में राम की रक्षा के लिए छत्री पकड़नी पड़ रही है। पूरी अयोध्या में चोरों का साम्राज्य स्थापित हो गया है। रामपथ पर लगी ३,८०० बांस लाइटें और ३६ गोबो प्रोजेक्टर लाइटें चोरी हो गर्इं। रामपथ पर आज अंधेरा है। मानो रामराज्य को भाजपा ने अंधकार में डुबा दिया हो। चोरों ने राम को भी नहीं बख्शा। ये है उनके कानून का राज! इस राज्य की चौकीदारी मोदी और शाह कर रहे हैं।
तिरंगे का विरोध
भारत ने अपना ७८वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। बहुमत खो चुके हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान मोदी ने फिर भी लाल किले से तिरंगा फहराया, जिस तिरंगे का उनके मार्गदर्शक संगठन ने विरोध किया था। यदि मोदी ने इस बार सचमुच ४०० सीटें जीती होतीं, तो वे निम्नलिखित तीन काम अवश्य करते।
१) भारतीय मुद्रा पर महात्मा गांधी की जगह खुद की फोटो लगाने की इच्छा पूरी कर ली होती।
२) उन्होंने संविधान जरूर बदल दिया होता।
३) ‘तिरंगा’ बदलने का मंसूबा भी पूरा कर लिया होता।
ये ‘तीन’ महत्वपूर्ण काम वे जरूर करते। ‘तीन’ अंक संघ की विचारधारा मानने वालों के लिए अशुभ है, लेकिन ये तीन काम मोदी जरूर करते और उसके लिए हमेशा मैं ही प्रधानमंत्री रहूं, यह ‘पुतिन पैटर्न’ लागू करने के लिए संविधान के लोकतंत्र और स्वतंत्रता की धाराओं को बदलने के लिए भी उन्होंने कदम उठाए होते, लेकिन भारतीय जनता ने ऐसा होने नहीं दिया!
भारत की बुद्धिमान जनता ने तिरंगे, आजादी और संसद की रक्षा की है।
राजनीतिक अभियान
‘घर-घर तिरंगा’ नामक राजनीतिक अभियान मोदी सरकार ने शुरू किया। उस तिरंगे की रक्षा के लिए आज भी सैकड़ों जवान बलिदान दे रहे हैं और मोदी के दस साल के कार्यकाल में सैनिकों के खून से तिरंगा ज्यादा ही लथपथ हो गया। जम्मू-कश्मीर में आए दिन आतंकी हमले हो रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें सेना के दो अधिकारी ‘शहीद’ हो गए। यह सब वेदनादायी है और हमारे प्रधानमंत्री ने अपने लाल किले के भाषण में इस पर एक भी शब्द नहीं बोला। सेबी प्रमुख माधवी बुच ने अडानी की कंपनियों में निवेश किया और ये कंपनियां फर्जी हैं। इस घोटाले का खुलासा हिंडनबर्ग रिसर्च ने किया। मतलब फौजदार ही चोरों के भागीदार बन गए। यह सीधे तौर पर माधवी बुच और उनके पति द्वारा किया गया मनी लॉन्ड्रिंग है और अडानी के मामले में उनकी भूमिका संदिग्ध है। फिर भी बुचबाई अपने पद पर बनी हुई हैं और भाजपा के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर अडानी का रोज समर्थन करते हैं। राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं। जैसे ही राहुल गांधी ने अडानी-माधवी बुच-हिंडनबर्ग घोटाले पर सवाल उठाया, मोदी की सरकार ने राहुल गांधी के पीछे फिर से ‘ईडी’ को लगा दिया, लेकिन माधवी बुच ‘सेबी’ के प्रमुख पद पर बरकरार हैं। हमारे देश का कानून कितना बिगड़ा हुआ है, उसका यह उत्तम उदाहरण है। शासकों के हाथ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। वे अब इतने डूबे हुए हैं कि उससे देश की पूरी छवि ही मैली हो गई है। युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को बचाने के नाम पर मोदी-शाह के हस्तक किरीट सोमैया ने करोड़ों रुपए जमा किए। लोगों से कहा कि हम वह पैसा राजभवन में जमा करा देंगे। प्रत्यक्ष में उसमें का एक रुपया भी राजभवन में नहीं पहुंचा। करोड़ों रुपए हड़प लिए गए। युद्धपोत विक्रांत कबाड़ में चला गया। यह रक्षा विभाग का घोटाला है, उसकी जांच शुरू हो गई, लेकिन फडणवीस के दोबारा गृहमंत्री बनते ही उन्होंने इस घोटाले को दबा दिया और जांच को बंद करवा दिया। ये उनकी ढोंगी देशभक्ति है। जैसे ही पुलिस ने इस जांच को खत्म करने का प्रस्ताव मुंबई की अदालत में पेश किया तो अदालत नाराज हो गई और इस जांच को बंद नहीं किया जा सकता, ऐसे शब्दों में पुलिस को फटकार लगाई। यह गृहमंत्री फडणवीस को लगा तमाचा है। वे भ्रष्टाचारियों, देश को बेचने वालों को शह देते हैं और देशभक्ति की झूठी बातें करते हैं। विक्रांत युद्धपोत मामले में भी फडणवीस बेनकाब हो गए। विक्रांत के नाम पर जुटाए गए करोड़ों रुपए आखिर कहां गए? वह भाजपा के पार्टी फंड में चले गए। अयोध्या में राम का नीलाम हुआ। रामपथ की लाइटें भी चोरी हो गर्इं। मोदी के चहेते उद्योगपतियों ने देश को बेचने के लिए रख दिया और मोदी के पसंदीदा चोरों ने युद्धपोत विक्रांत के नाम पर करोड़ों रुपए इकट्ठा किए। इस भ्रष्टाचार की जांच ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री फडणवीस ने बंद कर दी। फिर ‘भारतमाता की जय’ बोलने के लिए वे आजाद हैं!
कै. दीपक सिंह
इन सभी परिस्थितियों में देश आम नागरिकों के लड़ने की जिद और बलिदान होने को तैयार हमारे जवानों के संघर्ष के कारण ही खड़ा है। प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देते हैं, ऐसी योजनाओं की घोषणा करते हैं, जो हिंदू और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करे, लेकिन स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले चार आतंकवादियों को मारकर कैप्टन दीपक सिंह कश्मीर की धरती पर शहीद हो गए। आतंकियों से आमने-सामने मुठभेड़ हुई और कैप्टन दीपक सिंह के सीने में गोली लगी। वे जख्मी हो गए। उस अवस्था में भी वे सैनिकों को निर्देश देते रहे। अभियान का नेतृत्व करते हुए आगे बढ़े और अंतत: गिर पड़े। ऐसे अनगिनत बलिदानों के कारण ही आज लाल किले पर तिरंगा सुरक्षित है। प्रधानमंत्री के नफरत भरे भाषणों, अडानी, सेबी और उनके ‘बुच दंपति’ की वजह से नहीं!