मुख्यपृष्ठखेलक्लीन बोल्ड : फास्ट गेंदबाजों की हकीकत

क्लीन बोल्ड : फास्ट गेंदबाजों की हकीकत

अमिताभ श्रीवास्तव

पाकिस्तान अपने फास्ट गेंदबाजों की जमकर मार्केटिंग करता फिरता है, जिनकी हकीकत ये है कि उन्हें कोई भी पीट रहा है। चाहे वो वन डे हो या टी-२० या फिर टेस्ट मैच, हर फॉर्मेट में जमकर धुनाई होती है। बांग्लादेश से टेस्ट मैच खेल रही पाकिस्तानी टीम पहला टेस्ट दस विकेट से हार गर्इं। उसके तेज गेंदबाज शाहीन आफरीदी और नसीम शाह ने कुलमिलाकर केवल पांच विकेट लिए। वह भी दोनों पारी में मिलाकर ६२.३ ओवरो में। और रन दिए १८८। आप सोच सकते हैं क्या यह दुनिया के तेज गेंदबाज कहलाने लायक गेंदबाजों की कहानी है? दरअसल, पाकिस्तान का यह हौआ अब दुनिया समझ चुकी है। बांग्लादेश के बल्लेबाजों ने पाकिस्तान के हर गेंदबाज की पिटाई की है। पहली पारी में पाकिस्तान को बांग्लादेश के बल्लेबाजों ने इतना मारा कि ५६५ रन बना लिए। पाकिस्तान को सात गेंदबाजों से बॉलिंग करानी पड़ी पर नतीजा में सिफर ही निकला। दूसरी पारी में केवल ३० रन की लीड ले पाया पाकिस्तान जिसे बांग्लादेश ने महज ३० ओवरो में बिना किसी नुकसान के पार कर लिया और पाकिस्तानी धरती पर पहली टेस्ट विजय प्राप्त की।
अपना ही रिकॉर्ड
दसवीं बार तोड़ा
दुनिया में रिकॉर्ड बनते ही टूटने के लिए हैं। मगर कोई अपना ही रिकॉर्ड तोड़े तो ऐसा एकाध बार हो सकता है। यदि कोई दस-दस बार अपना बनाया रिकॉर्ड तोड़ता जा रहा हो तो उसे क्या कहेंगे? डायमंड न, वो भी कोहिनूर। जी हां, स्वीडन के मोंडो डुप्लांटिस ने सिलेसिया डायमंड लीग मीटिंग में दूसरे प्रयास में ६.२६ मीटर की छलांग लगाकर अपना ही पोल वॉल्ट विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया है। डुप्लांटिस ने १०वीं बार विश्व रिकॉर्ड तोड़ा, इस महीने की शुरुआत में पेरिस में अपना ओलिंपिक स्वर्ण पदक बरकरार रखते हुए उन्होंने ६.२५ मीटर की दूरी तय की थी और इस साल यह तीसरी बार था जब उन्होंने अपना खुद का रिकॉर्ड तोड़ा। २४ वर्षीय डुप्लांटिस ने पेरिस ओलंपिक में स्टेड डी प्रâांस की भीड़ को झूमने पर मजबूर कर दिया था, जब उन्होंने नौवीं बार विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था, और हमेशा यह महसूस होता था कि डुप्लांटिस का काम अभी खत्म नहीं हुआ है।
खाली नहीं है खजाना
सानिया नेहवाल के बाद पी वी सिंधु ने हिंदुस्थानी बैडमिंटन का परचम लहराया था, सिंधु हालांकि अभी भी देश की बड़ी खिलाड़ी हैं मगर फिटनेस समस्याओं के चलते वो बैडमिंटन में देश को अब अधिक टेका नहीं दे पा रही हैं। ओलिंपिक में हारकर बाहर होजाने के बाद माना जाने लगा कि महिला बैडमिंटन का खजाना खाली होने लगा है। मगर ऐसा है नहीं क्योंकि सिंधु के बाद सिंधु की ही तरह एक और खिलाड़ी ने अपना दमखम दिखाना शुरू कर दिया है। नाम है तन्वी पत्री। ओडिशा की तेरह वर्षीय तन्वी पत्री ने चीन के चेंगदू में अंडर-१५ बैडमिंटन एशिया अंडर-१७ और अंडर-१५ जूनियर चैंपियनशिप में लड़कियों के एकल वर्ग का खिताब जीतकर इंडिया की सबसे होनहार बैडमिंटन प्रतिभाओं में से एक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। चीन के चेंगदू में ही उन्होंने पहली बार इस खेल में अपने कौशल को निखारा था। पत्री ने शानदार प्रदर्शन के साथ एक अभूतपूर्व सप्ताह का समापन किया, उन्होंने वियतनाम की दूसरी वरीयता प्राप्त थी थू हुएन गुयेन को ३४ मिनट के फाइनल में २२-२०, २१-११ से हराया, जिससे पेरिस ओलिंपिक में भारतीय बैडमिंटन के हाल के संघर्षों के बाद उम्मीद की एक किरण जगी है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार व टिप्पणीकार हैं।)

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