मुख्यपृष्ठनए समाचारईडी राज में नायर अस्पताल झेल रहा है असुविधाओं की मार!

ईडी राज में नायर अस्पताल झेल रहा है असुविधाओं की मार!

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में जब से ईडी सरकार सत्ता में आई है, तभी से पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। सरकारी अस्पतालों में आए दिन लापरवाही के मामले उजागर हो रहे हैं। फिलहाल इस फेहरिस्त में मुंबई सेंट्रल में स्थित नायर अस्पताल भी शामिल है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव की मार और कुव्यवस्था की वजह से नायर अस्पताल की नाड़ी ढीली पड़ती जा रही है। अस्पताल में इलाज कराने के लिए आनेवाले मरीजों को ओपीडी में घंटों कतार में खड़े रहना पड़ रहा है। मरीजों की समस्या यहीं समाप्त नहीं होती है। डॉक्टरों द्वारा लिखी गई कई दवाइंया अस्पताल में न मिलने से मरीजों और उनके परिजनों को मेडिकल स्टोरों से खरीदनी पड़ती है।
मुंबई मनपा द्वारा संचालित प्रमुख अस्पतालों में से एक नायर अस्पताल में मुंबई और महाराष्ट्र समेत देशभर से मरीज इलाज के लिए आते हैं। १६२३ बेड की व्यवस्था वाले इस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना तीन से चार हजार मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। इसके साथ ही १०० से १५० मरीज विभिन्न वार्डों में भर्ती होते हैं। प्रतिदिन औसतन ४० से ५० सर्जरियां भी की जाती है। इसके बावजूद इस अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति खराब है। अस्पताल के ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और अस्पताल के वार्डों में भर्ती मरीज असुविधाओं के अभाव की मार झेल रहे हैं। यहां तक कि आईसीयू में भर्ती मरीज भी बदहाली से अछूते नहीं हैं। साथ ही अस्पताल में सर्जरी कराने के लिए आनेवाले मरीजों का भी हाल बेहाल है।
नायर अस्पताल में सीटी स्कैन समेत सभी जरूरी जांचों को कराने के लिए लंबी कतारें लगी रहती हैं। सीटी स्कैन के लिए २० दिन से एक महीने की तारीख दी जा रही है। बीते कई सालों से एमआरआई मशीन की खरीदारी की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन आज तक मशीन नहीं खरीदी जा सकी है।
मेडिकल कॉलेज बेलगाम
१४ फीसदी बढ़ी फीस
घाती सरकार के राज में निजी मेडिकल कॉलेजो का एक वर्ग बेलगाम हो गया है और डॉक्टरों की पढ़ाई महंगी कर दी गई है। इन कॉलेजों ने इस वर्ष एमबीबीएस पाठ्यक्रम की फीस में १४ फीसदी तक वृद्धि कर दी है। दूसरी तरफ कुछ ने ‘नो अपवर्ड रिवीजन’ का विकल्प चुना है, जिसका मतलब होगा कि इन कॉलेजों में फीस पिछले साल की तरह ही होगी।
उल्लेखनीय है कि पालघर में वेदांत इंस्टीट्यूट
ऑफ मेडिकल साइंसेज राज्य में सबसे अधिक १७.०३ लाख रुपए वार्षिक शुल्क वसूल रहा है। इसके अलावा वर्तमान में अधिकांश निजी मेडिकल कॉलेज वार्षिक शुल्क १० लाख रुपए से अधिक ले रहे हैं। वेदांता राज्य का एकमात्र कॉलेज है जो कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत है। वेदांता के बाद पुणे का काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज है, जिसने इस साल फीस बढ़ोतरी की मांग नहीं की है, लेकिन इसके पाठ्यक्रम की फीस प्रतिवर्ष १४ लाख रुपए से अधिक है। नागपुर के एनकेपी सालवे इंस्टीट्यूट की फीस २०२४-२५ के लिए १३.०८ लाख रुपए है। मुंबई के केजे सोमैया कॉलेज की फीस १२ लाख रुपए तय की गई है। दो साल पहले सांगली के प्रकाश कॉलेज ने फीस कम कर दी थी, लेकिन इस साल मेडिकल कॉलेज ने ७.६३ लाख रुपए फीस तय की है।

अन्य समाचार