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ममता की कुर्सी खतरे में:  पं. बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी! …राष्ट्रपति के बाद अब उपराष्ट्रपति ने भी मिलाए सुर में सुर

बंगाल के हालातों का रोया रोना, मित्र पक्षों ने भी हवा बनाई
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मोदी सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। हालिया कुछ बयानों से यह खबर पूरी तरह पुष्ट होती है। क्योंकि राष्ट्रपति के बाद अब उपराष्ट्रपति ने भी उनके सुर में सुर मिलाया है और प. बंगाल के हालात का रोना रोया है।
उधर, मित्रपक्षों ने भी हवा बनाई है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जमकर आलोचना की है। उन्होंने ममता की बंगाल जलेगा तो पूरा भारत जलेगा, वाली टिप्पणी को बेहद शर्मनाक बताया है। उल्लेखनीय है कि शुरुआत में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का एक बयान आया था, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘बस, अब बहुत हो गया’। उन्होंने यह भी कहा कि निंदनीय मानसिकता महिलाओं को कमतर इंसान, कम शक्तिशाली, कम सक्षम और कम बुद्धिमान के रूप में देखती है। निर्भया केस के बाद १२ वर्षों में समाज द्वारा अनगिनत बलात्कारों को भुला दिया गया है। हमें इस विकृति से व्यापक तरीके से निपटना चाहिए, ताकि इसे शुरू में ही रोका जा सके। इसके बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बयान दिया कि आज हम एक चौराहे पर खड़े हैं।

ऐसा क्या हो रहा है कि राष्ट्रपति को कहना पड़ रहा है कि अब बहुत हो गया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जहां महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, वह समाज सभ्य नहीं है। वह लोकतंत्र कलंकित है। वह हमारी तरक्की में सबसे बड़ी बाधा है। महिलाओं के दिमाग में इस तरह का डर राष्ट्रीय चिंता का विषय है।
इन दोनों बयानों की गहराई में जाएं तो पता चलता है कि यह सब प. बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा रही है। बता दें कि कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद हत्या करने का मामला सामने आने के बाद पूरे राज्य में बवाल मचा हुआ है।
ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा दूसरा पत्र
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरी बार पत्र लिखा है। उन्होंने बलात्कार और बलात्कार के बाद हत्या जैसे जघन्य अपराधों के लिए केंद्रीय कानून और कड़ी सजा की मांग की है। उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा समय पर मामलों का निपटारा सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य प्रावधानों का भी आह्वान किया है और अपने पिछले पत्र पर जवाब नहीं देने पर चिंता व्यक्त की है। ममता द्वारा कड़े कानूनों की यह मांग ९ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ३१ वर्षीय जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद आई है। ममता बनर्जी ने अपने पत्र में लिखा है कि आपको मेरा पत्र संख्या ४४-सीएम दिनांक २२ अगस्त, २०२४ (प्रति संलग्न) याद होगा।

उन्होंने कहा कि हालांकि, महिला एवं बाल विकास मंत्री की ओर से एक जवाब आया है, जो पत्र में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता को सही ढंग से नहीं दर्शाता है। मेरा मानना है कि इस सामान्य जवाब को भेजते समय इस विषय की गंभीरता और समाज के लिए इसकी प्रासंगिकता की पर्याप्त सराहना नहीं की गई है।

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