सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, मोदी सरकार ने एक बार फिर से नए विकास प्रोजेक्ट्स की घोषणाओं का जुमला देना शुरू कर दिया है। इस बार रेल मंत्रालय द्वारा नासिक से डहाणू तक की नई ब्रॉड गेज रेल लाइन परियोजना के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण का लॉलीपॉप दिया गया है।
१०० किमी लंबी इस रेल लाइन को नासिक और डहाणू को त्र्यंबकेश्वर और वानगांव को जोड़ने के लिए प्रस्तावित किया गया है। सरकार का दावा है कि यह रेल लाइन न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि त्र्यंबकेश्वर में दर्शन के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और नासिक में पंचवटी की यात्रा करने वालों के लिए भी फायदेमंद होगी, लेकिन इस परियोजना के पीछे की वास्तविकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सरकार द्वारा चुनावों से ठीक पहले ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स की घोषणाएं करना आम बात हो गई है। क्या यह परियोजना वास्तव में जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए है या सिर्फ चुनावी वोट बटोरने की एक और चाल? यह भी ध्यान देने वाली बात है कि नासिक और डहाणू के बीच की यह रेल लाइन कब तक पूरी होगी और इसके लाभ कब तक जनता तक पहुंच पाएंगे, इसका कोई ठोस जवाब नहीं है। पहले भी कई परियोजनाएं चुनावों के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं, जिससे जनता को वादों की हकीकत का पता चलता है।