मुख्यपृष्ठनए समाचार‘रेवड़ी संस्कृति' देश के आर्थिक विकास के लिए घातक! गडकरी ने अपनी...

‘रेवड़ी संस्कृति’ देश के आर्थिक विकास के लिए घातक! गडकरी ने अपनी ही पार्टी पर कसा तंज

सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। महाराष्ट्र में दो महीने में विधानसभा चुनाव होंगे। महायुति और महाविकास आघाडी दोनों ने इसके लिए कमर कस ली है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महागठबंधन को खास सफलता नहीं मिल सकी। इसलिए उन्होंने तरह-तरह की योजनाएं शुरू कर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया है। इसमें ‘लाडली बहन योजना’ सबसे मशहूर है। रक्षाबंधन के अवसर पर लाडली बहनों के खातों में पैसे भी जमा किए गए हैं। हालांकि, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुफ्त योजनाओं के आधार पर राजनीति नहीं की जा सकती। इस तरह का एक वीडियो हर जगह घूम रहा है जिसमें कहा गया है कि ‘रेवड़ी संस्कृति’ देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए खतरनाक है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रुप से राज्य की शिंदे-भाजपा सरकार की लाडली बहन योजना को लेकर उक्त बातें कहीं है।
रियायती योजनाओं से १८ लाख करोड़ का नुकसान। इसमें मुफ्त बिजली दी गई तो यह क्षेत्र खतरे में पड़ जाएगा। इसमें कोई राजनीति नहीं है क्योंकि सरकार मिक्सर, इडली पॉट जैसी चीजें मुफ्त में लगते है। गडकरी ने कहा कि इसके लिए हमें नौकरियां पैदा करनी होंगी, गरीबों के लिए घर बनाने होंगे, स्वच्छ भारत बनाना होगा, नए उद्योग लाने होंगे। ऐसी स्थायी उपचारात्मक योजनाएं आवश्यक हैं। अगर केवल चुनाव जीतने के लिए ‘रेवड़ी’ बांटते हैं तो इससे देश और उसकी आर्थिक स्थिति को नुकसान होगा। यदि लोगों को यह मुफ्त में मिलता है तो वे इसकी कद्र नहीं करते। जहां आवश्यक हो वहां रियायतें दी जानी चाहिए। हालांकि, गडकरी ने यह भी कहा कि मौजूदा राजनीति स्वीकार्य नहीं है। लाडली बहन योजना की पृष्ठभूमि में गडकरी के बयान का वीडियो इस समय वायरल हो रहा है।

‘रेवड़ी संस्कृति’ पर क्या बोले थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार पर निशाना साधा था और कहा था कि ‘रेवड़ी संस्कृति’ देश के लिए खतरनाक है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि उन्हें गंभीर वित्तीय परिणाम भुगतने होंगे। इसके बाद देश की राजनीति में रेवड़ी संस्कृति शब्द की चर्चा हो रही है। नागरिकों को नि:शुल्क सुविधाएं प्रदान करने को लेकर समाज में दो राय हैं। एक विचारधारा का कहना है कि इस तरह से मुफ्त चीजें देने से सरकार पर वित्तीय दबाव पड़ता है और आर्थिक गणित बिगड़ जाता है। उनका कहना है कि इसका असर बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी पड़ता है। इसी धागे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि मुफ्त देने की आदत देश के लिए मुसीबत लाएगी।

अन्य समाचार