सामना संवाददाता / मुंबई
मुलुंड के मनपा स्कूल में छात्र कहने लगे हैं कि मेरे दो-दो प्रिंसिपल, यहां दो प्रिंसिपल होने से छात्रों में ही नहीं शिक्षकों में भी बड़ी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मुलुंड के गवनपाड़ा माध्यमिक मराठी स्कूल दो साल से बिना प्रिंसिपल के चल रहा था, लेकिन अब अचानक इस स्कूल के संचालन और देख-रेख करने के लिए दो प्रिंसिपल नियुक्त किए गए हैं, जिससे शिक्षक-छात्र सभी असमंजस की स्थिति में हैं। छात्रों और शिक्षकों के लिए हर दिन एक चुनौतीपूर्ण है। उन्हें समझ नहीं आता है कि किसके आदेशों का पालन करना है। एक शिक्षक ने कहा कि इस अनिश्चितता ने विशेष रूप से महत्वपूर्ण परीक्षा अवधि के दौरान हमारे कामकाज को बाधित किया है। दोनों प्रिंसिपलों के बैठने की व्यवस्था जैसे व्यावहारिक मुद्दे भी हैं। हमने मनपा से स्थिति स्पष्ट करने की अपील की है, लेकिन अभी तक हमें स्थिति का कोई जवाब या समाधान नहीं मिला है। हालांकि, शिक्षकों ने स्कूल में संघर्ष के उदाहरणों को साझा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि निर्णय लेने में गड़बड़ी और भ्रम छात्रों को प्रभावित कर सकता है।
गवनपाड़ा मनपा माध्यमिक मराठी स्कूल में २५० से अधिक छात्र पढ़ते हैं। अप्रैल २०२३ में भांडुप स्कूल की प्रिंसिपल कविता म्हस्कुले को रिक्त पद को भरने के लिए एस डिविजन कार्यालय के तहत गवनपाड़ा मराठी स्कूल में अस्थायी रूप से स्थानांतरित कर दिया गया था। बाद में जुलाई २०२४ में एक अन्य प्रिंसिपल संगीता चव्हाण को पदोन्नत कर उसी पद पर नियुक्त किया गया। शिक्षा विभाग ने अभी तक इस बारे में स्पष्ट निर्देश नहीं दिए हैं कि एक ही स्कूल के लिए दो प्रिंसिपलों के बीच जिम्मेदारियों को वैâसे बांटा जाना चाहिए, जिससे स्कूल प्रशासनिक अव्यवस्था की स्थिति में है।