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‘लाडली बहन योजना’ पर जंग …श्रेय के लिए आमने-सामने दादा और घाती गुट! … अजीत पवार गुट के विज्ञापन पर जताई आपत्ति

सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले कुछ समय से महायुति सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आलम यह है कि ट्रिपल इंजन सरकार में आए दिन किसी न किसी वजह को लेकर महाभारत होता हुआ साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। इन सबके बीच अब ‘लाडली बहन योजना’ को लेकर महायुति में जंग छिड़ गई है। योजना के लिए तैयार किए गए विज्ञापन को लेकर अजीत पवार और शिंदे गुट आमने-सामने आ गए है। घाती गुट ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि अजीत पवार गुट ने लाडली बहन योजना से मुख्यमंत्री शब्द हटा दिया है। साथ ही इसम ‘मेरी लाडली बहन’ का जिक्र किया है।
इस योजना के जरिए ‘घाती’ सरकार राज्य में अधिक से अधिक महिला मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। हालांकि, यह मंशा अब महायुति में ही मतभेद का कारण बनती जा रही है, क्योंकि योजना का सरकार में शामिल भाजपा के साथ ही ‘घाती’ और ‘अजीत पवार’ गुट भी इस योजना का श्रेय चाहता है। ‘अजीत पवार’ गुट के मुख्य प्रवक्ता उमेश पाटील ने कहा कि इसमें आपत्ति की कोई बात नहीं है। कई केंद्रीय योजनाएं प्रधानमंत्री के नाम पर और राज्य की कई योजनाएं मुख्यमंत्री के नाम पर हैं। इसका उपयोग विज्ञापन में लाडली बहन योजना के संक्षिप्त रूप के रूप में किया जाता है। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने वित्त मंत्री के तौर पर यह योजना पेश की थी। उमेश पाटील ने कहा कि योजना का फॉर्म भरते समय आवेदन पत्र पर नाम ‘मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना’ लिखा होना चाहिए। अगर उन्हें योजना का श्रेय ही लेना होता तो उपमुख्यमंत्री के तौर पर इस योजना को लाते ही नहीं। उन्होंने कहा कि यदि श्रेय ही लेना होता तो योजना का नाम यशवंतराव चव्हाण अथवा उपमुख्यमंत्री लाडली बहन योजना रखे होते।

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