बेरोजगार बेटे को मिल जाएगी सरकारी नौकरी, मां ने अपने गहने बेचकर दिए रुपये!
राजेश जायसवाल / मुंबई
मुंबई में सरकारी नौकरी के नाम पर एक महिला और उसके बेटे के साथ दस लाख रुपये की धोखाधड़ी किये जाने का मामला सामने आया है। यहां एक मां ने अपने बेरोजगार बेटे को सरकारी नौकरी के लिए अपने गहने बेचकर १० लाख रुपये दे दिए। बाद में पता चला कि मां-बेटे के साथ सरकारी नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी हुई है।
मिली जानकारी के मुताबिक, भायंदर-पूर्व के मिताली अपार्टमेंट में रहने वाली दाई पुरबिया ने अपने बेटे राजेश पुरबिया को बीएमसी में नौकरी दिलाने के लिए साल २०१४ में अपने गहने बेचकर एक रिश्तेदार द्वारा अन्य लोगों से संपर्क होने के बाद अलग-अलग किश्तों में दस लाख रुपये दे दिए थे। महिला ने सबसे पहले अपने रिश्तेदार विरजी राठौड़ के जरिए दो अन्य लोगों से मुलाकात की। इसमें से एक व्यक्ति द्वारा उनसे काम के पहले पांच लाख और उसके बाद पांच लाख देने को कहा गया। इसके बदले में उनके बेटे राजेश पुरबिया को मुंबई के बीकेसी में अल्मेडा चौकी के पास सफाई कर्मचारी की नौकरी पर रखे जाने की बात की गई। दाई पुरबिया ने बताया कि मेरा बेटा बेरोजगार था और नौकरी की तलाश कर रहा था। मैं दादर में रहने वाले अपने रिश्तेदार विरजी राठौड़ से मिली और उन्होंने मुझे बताया कि बीएमसी में उनके अच्छे संपर्क हैं। वह उनके बेटे को बीएमसी में स्थायी नौकरी दिला सकता है, लेकिन इसके लिए दस लाख रुपए देने होंगे। राठौड़ ने पूरबिया परिवार और खुद को बीएमसी अधिकारी बताने वाले लोगों के बीच कई मीटिंग भी करवाई। उन्हें माटुंगा के एक अन्य आरोपी जितेंद्र भीखा सोलंकी से मिलवाया गया, जिसने उन्हें पांच लाख रुपए एडवांस और बाकी पांच लाख रुपए नौकरी मिलने के बाद देने को कहा।
राजेश पुरबिया ने साल २०१६ में लगभग एक साल तक बीएमसी की फर्जी आईकार्ड पर काम भी किया लेकिन उसे कोई भी सैलरी नहीं मिली। इस बारे में जब उन्होंने पूछताछ की तो आरोपियों द्वारा कहा गया कि मामला कहीं फंसा हुआ है और जल्दी ही सैलरी आ जाएगी। घटना के लगभग सात साल बाद कुर्ला के एक एनजीओ की मदद से पीड़ित महिला ने माहिम पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले तत्काल कार्यवाई करते हुए मंगलवार को मनोज जाधव, सुरेश मकवाना और जितेंद्र सोलंकी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। एफआईआर में कहा गया है कि पीड़ित राजेश पुरबिया रोजाना सुबह ६ बजे से दोपहर १ बजे तक बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सौंपे गए इलाकों में सड़कों की सफाई करता था।
माहिम पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुधाकर शिरसाठ ने बताया कि हमने इस नौकरी रैकेट में शामिल आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। हम यह पता लगाने के लिए बीएमसी की भी मदद लेंगे कि इस घोटाले में कौन-कौन लोग शामिल हैं? मामले की जांच के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, जब आईडी कार्ड और ऑफर लेटर की जांच की गई, तो वे फर्जी पाए गए।