सामना संवाददाता / मुंबई
देश में भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की गलत नीतियों के चलते उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार, इसी साल जनवरी से लेकर अबतक कुल मिलाकर अलग-अलग कंपनियों ने १.५३ लाख लोगों की छंटनी की है। अगस्त २०२४ में २७,००० से अधिक नौकरियों में कटौती की घोषणा की गई है। इंटेल, आईबीएम और सिस्को सहित प्रमुख फर्म उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने इस छंटनी की शुरुआत की है। यह प्रवृत्ति पूरे वर्ष देखी गई। २०२४ में अब तक ४२२ से अधिक कंपनियों ने १३२,००० से अधिक तकनीकी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इसके अनुसार हर रोज २,७०० लोगों की नौकरियां खत्म हो रही हैं।
बता दें कि साल २०२३ में आर्थिक मंदी की आशंका के बाद दुनियाभर में कई बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है। जनवरी के शुरुआत के बाद से ही कई टेक कंपनियों, यूनिकॉर्न और स्टार्टअप ने अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। वहीं जो लोग छंटनी से बच गए हैं उन्हें सैलरी में कटौती या सैलरी में बढ़ोतरी न होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आई अस्थिरता, बढ़ती महंगाई और वैश्विक चुनौतियों के कारण अभी अनिश्चितता का माहौल है। ट्रूअप आइओ इंडिया कंपनी के मुताबिक, साल २०२३ में अबतक कुल ५३४ टेक कंपनियों ने छंटनी का एलान किया था।
वित्तीय चुनौतियों के बीच इंटेल ने १५,००० नौकरियों में कटौती की घोषणा की है। सिस्को सिस्टम्स ६,००० कर्मचारियों की छंटनी करेगा। आईबीएम ने चीन में अपने अनुसंधान और विकास कार्यों को समाप्त कर दिया है, जिससे १,००० से अधिक छंटनी हुई है। वर्ष २०२३ में बड़ी टेक कंपनियां जैसे फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा, गूगल, अमेजन, आदि ने बड़े पैमाने पर अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। मेटा ने ११,००० लोगों की छंटनी की थी। वहीं गूगल ने १२,००० यानी ६ फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। अमेजन ने १८,००० कर्मचारियों की छंटनी कर दी थी। इसके अलावा डेल ने ६,६५० कर्मचारियों की छंटनी कर दी थी।