राजेश विक्रांत
हम तो हम गवर्नर गवर्नर खेलेंगे ही! आप रोक नहीं सकते। आप हमारी मजबूरी समझो। हम बेमेल खिचड़ी सरकार चला रहे हैं। हमारे पास बहुमत नहीं है। कई पार्टियों की बैसाखी पर जिंदा हैं। हम अब ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स पर ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते। इसमें मामला उलझ जाता है और काफी समय के लिए लटकता भी है। इसके साथ ही अब ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स से सरकारें नहीं डरती, जबकि गवर्नर से थोड़ा बहुत तो डरती ही हैं।
फिर गवर्नर तो हमारा अपना ही आदमी होता है। हमारा पिछलग्गू। वो हमारी बात मानेगा ही। आखिर जाएगा कहां?
तो अब हमने नया खेल शुरू कर दिया है। गवर्नर-गवर्नर का खेल। न्याय, लोकतंत्र व संविधान की बात हमसे मत कीजिए। ये किताबी बातें हैं। हाथों में तख्तियां, बैनर, पोस्टर लेकर प्रदर्शन, धरना, नारेबाजी और चिल्ल-पों से कुछ नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट जाइए या कहीं और! गवर्नर ने हमारे आदेश का पालन करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ त्वरित कार्रवाई कर डाली है। मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण साइट आवंटन घोटाले में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच और मुकदमा चलाने की अनुमति देकर गवर्नर ने कोई गलत काम नहीं किया। हम जैसा कहेंगे, गवर्नर को वैसा ही करना पड़ेगा।
क्या कहा? ‘कर्नाटक के लोग ऐसे राज्यपाल को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो न्याय और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने में विफल रहे।’ ‘कौन सा न्याय और वैâसा लोकतंत्र?’ ‘हमारी मांग है कि केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी, पूर्व मंत्री जी जनार्दन रेड्डी, शशिकला जोले, मुरुगेश निरानी और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए!’ ‘आपकी मांग बेबुनियाद है।’ हमारा गवर्नर हमारे अपनों को बिल्कुल नहीं छुएगा। उसने नियुक्ति पत्र लेते हुए हमसे वादा किया था कि वो सिर्फ विपक्ष का ही शिकार करेगा। अपने लोगों का नहीं। तो, हमारा गवर्नर तो वही कर रहा है। हमारे एक गवर्नर को इतने अधिकार प्राप्त हैं कि वे मुख्यमंत्री को खुलेआम बेशर्म कह देते हैं। भई, उन्हें हमने सांप की तरह ट्रेंड किया है। सांप का जहर देकर ही भेजा है। लिहाजा, वे विधेयकों पर पिछले दो वर्षों से सांप की तरह कुंडली मारकर बैठे हैं। तमाम आदर्शवादी बातें करने वाले गवर्नर ने इन बिलों को रोकने की वजहें कभी साफ-साफ नहीं बताई हैं। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया, पर गवर्नर पर कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वे हमारे आदमी हैं। हम जो कहेंगे, उन्हें वही करना है। जिसको जो करना है करे, सुप्रीम कोर्ट जाए या कहीं और। याचिका दायर की है। हमें इस बात का भी गर्व है कि हमारे ४ गवर्नर्स के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हुआ है। हमने एक और गवर्नर को कोलकाता से नई दिल्ली के बीच शटलिंग करने का काम दिया है, हमारा जब मन होता है हम गवर्नर साहब को नई दिल्ली बुला लेते हैं। क्यों? दरअसल, इधर गवर्नर साहब का प्लेन कोलकाता से दिल्ली के लिए उड़ता तो उधर मुख्यमंत्री का ब्लड प्रेशर भी उड़ने लगता है।
हमें मुख्यमंत्री का ब्लड प्रेशर माउंट एवरेस्ट पर पहुंचाने में मजा आता है। हमारे दिल को सुकून मिलता है। आपसे सही बात बताऊं, हमारी सरकार का कोई भरोसा तो है नहीं। हमने अपना झोला तैयार रखा हुआ है। तो हमारी सरकार कभी भी भी जा सकती है इसलिए जो समय मिला है हमको, उसमें हम गवर्नर- गवर्नर खेल कर अपने दिल को तसल्ली दे रहे हैं।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)