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महायुति सरकार की महा हठ … विदेशों से पढ़कर आए डॉक्टरों का नहीं किया जा रहा पंजीयन!

-भविष्य भी कर रही खराब
-महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद ने जताई नाराजगी

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
विदेशों से पढ़कर कई महीने पहले वापस महाराष्ट्र लौटे हजारों डॉक्टरों के भविष्य से महायुति सरकार खिलवाड़ कर रही है। आरोप है कि सरकार की तरफ से किसी भी डॉक्टरों का पंजीयन नहीं किया जा रहा है, जिस कारण ये प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी तरफ महायुति के इस महा हठ पर महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद ने नाराजगी जताई है। साथ ही इन डॉक्टरों का जल्द से जल्द पंजीयन करने की मांग इस सरकार से की है।
उल्लेखनीय है कि विदेशों से मेडिकल की शिक्षा लेते हुए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन पास करने के बाद स्वदेश लौटनेवाले डॉक्टरों को पहले शुरुआत में एक अस्थाई पंजीकरण नंबर दिया जाता है। इसके बाद उन्हें संबंधित राज्य की काउंसिल के माध्यम से एक स्थाई पंजीकरण नंबर दिया जाता है। इसके आधार पर संबंधित डॉक्टर स्थानीय लोगों की सेवा कर सकते हैं। साथ ही सरकारी अथवा निजी अस्पतालों में नौकरी पा सकते हैं। इतना ही नहीं, वे आगे की स्नातकोत्तर की पढ़ाई भी कर सकते हैं। हालांकि, घाती सरकार के अधीन काम करने वाली महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल ने चार महीने से ऐसे डॉक्टरों को पंजीकरण संख्या नहीं दी है। इसकी वजह से जो स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं, लेकिन वे आगे के पाठ्यक्रमों में प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं। इसके साथ ही कुछ डॉक्टर नौकरी और चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें स्थाई पंजीकरण संख्या नहीं मिलने के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इन देशों में मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं हिंदुस्थान के छात्र
हर साल हिंदुस्थान से हजारों की संख्या में छात्र मेडिकल डिग्री यानी एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए रूस, अजरबैजान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, चीन, रोमानिया, फिलीपींस, जॉर्जिया जाते हैं। शिक्षा पूरी होने पर वहां से लौटने के बाद उन्हें सीधे हिंदुस्थान में सेवा करने की अनुमति नहीं है। इसके लिए पहले पात्रता परीक्षा पास करनी होती है। इसे पास करना बहुत कठिन होता है इसलिए इस परीक्षा का परिणाम लगातार कम आता है। जानकारी के अनुसार, इस साल पात्रता परीक्षा में पूरे देश से ३४,६०८ छात्र बैठे थे। इसमें से सिर्फ ७,२३३ छात्र ही पास हुए हैं।

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