सामना संवाददाता / मुंबई
मेडिकल की पढ़ाई करनेवाले मेडिकल छात्रों को डिजिटल करने का पैâसला ‘महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान यूनिवर्सिटी’ ने किया है। इस पैâसले के तहत यूनिवर्सिटी ने राज्य के डॉक्टरों में कौशल विकास के लिए डिजिटल हेल्थ फाउंडेशन पाठ्यक्रम यानी डीएचएफसी को अनिवार्य कर दिया है। यूनिवर्सिटी की तरफ से बताया गया है कि फिलहाल अभी इसे केवल मेडिकल छात्रों के लिए अनिवार्य किया गया है, लेकिन आनेवाले समय में इस पाठ्यक्रम को नर्स और आयुष के छात्रों के लिए भी अनिवार्य किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस पाठ्यक्रम की संकल्पना यूनिवर्सिटी की कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर (सेवानिवृत्त) द्वारा की गई है, जिसे मुफ्त में ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है। बताया गया है कि पाठ्यक्रम के लिए अगर रोजाना दो घंटे का समय दिया जाए तो इसे करीब आठ से दस दिन में पूरा किया जा सकता है। पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद संबंधित छात्र को ऑनलाइन परीक्षा भी देनी होती है। उत्तीर्ण होने पर संबंधित डॉक्टर को स्वास्थ्य विज्ञान यूनिवर्सिटी से दो क्रेडिट प्वाइंट मिलेंगे। माधुरी कानिटकर ने कहा है कि स्वास्थ्य यूनिवर्सिटी इसके लिए महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) और नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को पत्र देगी, इसलिए कोई भी पाठ्यक्रम पूरा करने का दिखावा नहीं कर सकता है।
यूनिवर्सिटी के डीएचएफसी पाठ्यक्रम में १३ प्रकार के विभाग हैं। इसमें नवजात शिशु, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य विभिन्न विषय शामिल हैं। इस पाठ्यक्रम में डॉक्टरों को केंद्र और राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी, मरीजों का डाटा वैâसे स्टोर करना है, रिसर्च के उपयोग के बारे में जानकारी के साथ-साथ संबंधित विषय के ज्ञान के बारे में सिखाया जाएगा।